Friday 28 July 2017

भारत का ब्रिक्‍स में सामाजिक सुरक्षा सहयोग के संस्‍थानीकरण का समर्थन

      श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बंडारू दत्तात्रेय के नेतृत्व में भारतीय शिष्टमंडल ने चीन के चोंगगिंग में आयोजित ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया।

      चीन वर्ष 2017 के लिए ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक का अध्यक्ष है। भारतीय शिष्टमंडल में एम सत्यवती, सचिव (श्रम और रोजगार), मनीष गुप्‍ता, संयुक्‍त सचिव, अनुजा बापट, निदेशक और प्रो. शशिकुमार, वरिष्‍ठ फेलो, वीवीजीएनएलआई शामिल थे।
        बैठक का समापन चोंगगिंग, चीन में ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों द्वारा ब्रिक्‍स श्रम और रोजगार मंत्रिस्‍तरीय घोषणा पत्र को स्‍वीकार किए जाने के साथ हुआ। इस घोषणा पत्र में ब्रिक्‍स देशों के लिए महत्‍वपूर्ण विविध क्षेत्रों को कवर किया गया।
      साथ ही भारत द्वारा उचित संस्‍थानीकरण के माध्‍यम से इन क्षेत्रों में सहयोग और सहकारिता को सुदृढ़ता प्रदान करने का आह्वान किया गया। इन क्षेत्रों में कार्य के भविष्‍य के बारे में गवर्नेंस, ब्रिक्‍स में विकास के लिए कौशल, सार्वभौमिक और टिकाऊ सामाजिक सुरक्षा प्रणालियां, श्रम अनुसंधान संस्‍थानों का ब्रिक्‍स नेटवर्क, ब्रिक्‍स सामाजिक सुरक्षा सहयोग प्रारूप और ब्रिक्‍स उद्यमिता अनुसंधान शामिल हैं।
       इस अवसर पर बंडारू दत्‍तात्रेय ने कहा कि अंशकालिक कार्य, अस्‍थायी कार्य, निश्चित अवधि का अनुबंध और उपअनुबंध, घर से किया जाने वाला कार्य, आदि जैसे रोजगार के गैर-मानक स्‍वरूपों के उदय के मद्देनजर ब्रिक्‍स देशों को ‘कार्य के भविष्‍य’ की चुनौतियों से निपटने में सहयोग करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इस तरह के कार्य ब्रिक्‍स देशों में रोजगार बाजारों का स्‍वरूप बदल रहे हैं। 
      ब्रिक्‍स देशों के श्रम संस्‍थानों की नेटवर्किंग से सूचना के नियमित आदान-प्रदान और इस क्षेत्र में तथा अन्‍य साझा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाए जाने की व्‍यवस्‍था तैयार हो सकती है। श्रम और रोजगार मंत्री ने दोहराया कि भारत ने विश्‍व आपूर्ति श्रृंखला में हमेशा सीबीडीआर के सिद्धांतों का पालन किया है और उसे खुशी है कि ब्रिक्‍स देशों ने भी इसी नीतिगत दृष्टिकोण को दोहराया है। दत्‍तात्रेय ने कहा कि प्रभावी और पारदर्शी श्रम गवर्नेंस के ढांचे का निर्माण करने में प्रौद्योगिकी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 
        उन्‍होंने कहा कि भारत में सेवाओं को प्रभावी, समयबद्ध और कुशलता से प्रदान करने के लिए तथा वित्‍तीय समावेशन, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार सृजन और कौशल सहित सरल और पारदर्शी अनुपालन ढांचा तैयार करने के लिए आईसीटी का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। दत्‍तात्रेय ने जोर देकर कहा कि कौशल न केवल कामगारों की रोजगार की क्षमता में व़द्धि करता है, बल्कि नियोक्‍ताओं की उत्‍पादकता भी बढ़ाता है, जिससे देश में संवर्धित उत्‍पादन, संवर्धित राजस्‍व प्रवाह और संवर्धित जीडीपी का चक्र तैयार होता है। 
          भारत ने कौशल के जरिए गरीबी उन्‍मूलन और उसमें कमी लाने संबंधी ब्रिक्‍स की कार्ययोजना का अनुमोदन किया। इस कार्य योजना में अन्‍य बातों के अलावा, समग्र राष्‍ट्रीय योजना में गरीबों को शामिल करने की नीतिगत सिफारिशें शामिल हैं, ताकि व्‍यवसायिक प्रशिक्षण, बेहतर आजीवन व्‍यवसायिक प्रशिक्षण और शिक्षण प्रणालियां, अनुसंधान संबंधी पहल के लिए अच्‍छी गुणवत्‍ता वाली प्रशिक्षुता को बढ़ावा, सरकारों, क्षेत्रों और उद्यमों के बीच सहयोग मजबूत बनाना संभव हो सके तथा ऐसे गठबंधन बनाने के लिए ब्रिक्‍स राष्‍ट्रीय अनुसंधान संस्‍थानों के नेटवर्क का इस्‍तेमाल किया जा सके।
     भारत ने ब्रिक्‍स द्वारा व्‍यक्‍त की गई सामूहिक प्रतिबद्धताओं को आगे ले जाने के लिए चीन की सराहना की। भारत ने ब्रिक्‍स के लिए प्रस्‍तावित सामाजिक सुरक्षा सहयोग प्रारूप के संस्‍थानीकरण का समर्थन किया, क्‍योंकि इससे हमें सामाजिक सुरक्षा के सार्वभौमिकरण विशेषकर कार्य के मानक स्‍वरूपों के बारे में ब्रिक्‍स के अन्‍य सदस्‍य देशों द्वारा अपनाई जा रही रणनीतियों का पता चल सकेगा। 
       उन्‍होंने कहा कि श्रम बाजार सूचना में विषमता हम सभी के लिए बड़ी चुनौती है। उन्‍होंने कहा कि इस संदर्भ में राष्‍ट्रीय श्रम संस्‍थानों का नेटवर्क एकीकृत अनुसंधान और सूचना साझा करने के लिए महत्‍वपूर्ण संभावनाएं प्रस्‍तुत करता है। दत्‍तात्रेय ने कहा कि यह नेटवर्क उपयुक्‍त श्रम और रोजगार मामलों पर साझा दृ‍ष्टिकोण कायम करने में हमारी सहायता भी करेगा।
      उन्‍होंने कहा कि नवोन्‍मेष और उद्यमिता को प्रोत्‍साहन देना भारत के लिए महत्‍वपूर्ण प्राथमिकता है। भारत ने ब्रिक्‍स उद्यमिता पहल को मजबूती प्रदान करने के लिए ब्रिक्‍स के सदस्‍य देशों के साथ मिलकर कार्य करने की इच्‍छा प्रकट की। ब्रिक्‍स श्रम और रोजगार मंत्र‍िस्‍तरीय घोषणा पत्र अब चीन में होने वाले राष्‍ट्राध्‍यक्षों/शासनाध्‍यक्षों के शिखर सम्‍मेलन में प्रस्‍तुत किया जाएगा।

Thursday 20 July 2017

वैश्विक चुनौतियों से निपटने का एकमात्र साधन सामूहिक जिम्मेदारी

         केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रमुख सदस्‍य देशों के प्रतिनिधियों, महानिदेशक डब्‍ल्‍यूटीओ और अंकटाड के महासचिव के साथ परस्‍पर विचार विमर्श करने के लिए जिनेवा का दौरा किया। 

    विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक के साथ अपनी बैठक के दौरान वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने यह उल्‍लेख किया कि भारत डब्ल्यूटीओ के ग्यारहवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन ('एमसी 11') में किस प्रकार के परिणामों को देखना चाहता है। उन्होंने विशेष रूप से जोर दिया कि एमसी 11 के परिणामों में खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों (पीएसएच) के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के बारे में स्थायी समाधान शामिल होना चाहिए जिसके लिए एक मंत्रालयीय जनादेश है। 
        उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक से अनुरोध किया कि पीएसएच और कृषि विशेष सुरक्षा तंत्र के बारे में अंतिम रूप से निर्णय लेने के प्रयासों के लिए जोरदार कार्रवाई की जाए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया ई-कॉमर्स और निवेश सुविधा जैसे नए मुद्दों पर परिणाम प्राप्‍त करने के लिए किए जाने वाले प्रयास दोहा वार्ता के एजेंडे के लंबे समय से लंबित अन्‍य मुद्दों की कीमत पर नहीं किए जाने चाहिए।
          वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने बहुपक्षीय सुधार विषय पर अंतर्राष्ट्रीय और विकास अध्ययन के लिए ग्रेजुएट संस्थान को भी संबोधित किया। इस कार्यक्रम में 350 से अधिक राजनयिकों, विभिन्न अंतर-सरकारी संगठनों, वकीलों, शिक्षाविदों, छात्रों और मीडिया के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 
      वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के एक संस्थापक सदस्य के रूप में भारत का बहुपक्षवाद का कट्टर समर्थक होने का एक लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की स्थिति में अभी हाल में हुए परिवर्तनों ने आमतौर पर बहुपक्षीयवाद और विशेष रूप से बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को किस प्रकार प्रभावित किया है। 
            उन्होंने बहुपक्षीयवाद की भावना को पुन: मजबूत बनाने, विशेष रूप से प्रणालियों को मजबूती प्रदान करने संरक्षणवाद का मुकाबला करने और विकास को बढ़ावा देने के बारे में कई सुझाव दिए। व्यापार के लिए भारत के खुलेपन पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि वार्ता के लिए भारत का दृष्टिकोण गहरी और मजबूत प्रतिबद्धता पर आधारित है ताकि व्यापार वार्ता में विकास के मुद्दों का समाधान किया जा सके। 
           उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों से आग्रह किया कि वे समय के अनुरूप काम करें और बहुपक्षीय सुधार के लिए सामूहिक जिम्मेदारी लें क्‍योंकि व्यापार में वैश्विक चुनौतियों से निपटने का यही एकमात्र साधन है।
          वाणिज्य और उद्योग मंत्री के संबोधन को सबने ध्‍यान से सुना और उसके बाद दर्शकों के साथ जीवंत बातचीत हुई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने दक्षिण केंद्र का भी दौरा किया जो विकासशील देशों का एक अंतर-सरकारी संगठन है और वे अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अपने साझा हितों को बढ़ावा देने के प्रयासों और विशेषज्ञता को जोड़ने में मदद करता है। 
          उन्‍होंने दक्षिण केंद्र से विकासशील देशों के मध्‍य वार्ता के लिए सहयोग निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को जारी रखने का आग्रह किया ताकि वे विश्व व्यापार संगठन में अपने देय हितों से वंचित न हों। वार्ता में शामिल प्रतिभागियों में प्रमुख विकासशील सदस्य देशों के राजदूत भी शामिल थे। एम सी 11 के परिणामों में उनके दृष्टिकोणों लाभदायक विचारों का आदान-प्रदान हुआ। 
         श्रीमती सीतारमण ने विभिन्न विश्व व्यापार संगठन वार्ता के भविष्‍य एमसी 11 के संभावित परिणामों के बारे में चुनिंदा राजदूतों और विभिन्‍न विश्व व्यापार संगठन वार्ता समूह के अध्यक्षों के साथ मिलकर एक बैठक का भी आयोजन किया। 
         इस बैठक में प्रतिभागियों में विश्व व्यापार संगठन की वार्ताओं के विभिन्‍न पहलुओं पर अपने विचार और दृष्टिकोण साझा किए। बातचीत के दौरान साझा स्थिति और रूख की पहचान की गई। अपनी जिनेवा की उनकी यात्रा के दौरान श्रीमती सीतारमण ने अंकटाड के महासचिव और अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार केंद्र के कार्यकारी निदेशक के साथ भी बातचीत की। इन बैठकों के दौरान इन संस्‍थाओं की भारत के साथ और उसकी ओर से की जा रही गतिविधियों की सराहना की और गतिविधियों को और आगे बढ़ाने का सुझाव दिया।

Wednesday 19 July 2017

कनाडा का कोकिंग कोल निर्यात प्रतिवर्ष लगभग 30 मिलियन टन

       केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में इस्पात मंत्रालय और उसके सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने इस महीने के शुरू में कनाडा का दौरान किया। उन्‍होंने कनाडा सरकार के प्राकृतिक संसाधन मंत्री जेम्स कैर के साथ व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया। 

    चर्चा में भारत में इस्पात उद्योग की प्रगति, भारतीय इस्पात निर्माताओं के लिए कनाडा कोकिंग कोल का रणनीतिक महत्‍व, पर्यावरणीय अनुकूल खनन के क्षेत्र में सहयोग, कोयला परिष्‍करण और अनुसंधान एवं विकास आदि विषय शामिल रहें। भारत में स्टील बनाने की क्षमता में वृद्धि के साथ तालमेल स्‍थापित करने के लिए कनाडा से कोकिंग कोल का आयात बढ़ाने की जरूरत होगी। 
          यह उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के उत्पादन लक्ष्यों के अनुसार कोकिंग कोल की आवश्यकता जो वर्तमान में 60 मिलियन टन प्रतिवर्ष के स्‍तर पर है उसका बढ़कर 160 मिलियन टन प्रतिवर्ष तक होने का अनुमान है। हालांकि स्वदेशी कोकिंग कोल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए विभिन्‍न प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन आयातित कोकिंग कोल पर भारत की निर्भरता जारी रहेगी। ऐसे परिदृश्य में कोकिंग कोल आयात के स्रोत के लिए बहुविकल्प होने से मूल्‍यों में लाभ प्राप्‍त होंगे। 
          इस दौरे में कनाडा के इस्पात निर्माण संस्थान के (सीआईएससी) के प्रतिनिधियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श हुआ। यह एक विशिष्‍ट संस्थान है जो अपने आपको को इस्‍पात निर्माण उद्योग के लिए कनाडा की आवाज घोषित करता है। बीरेंद्र सिंह ने भारत में इसी तरह का संस्थान स्थापित करने की संभावनाओं का पता लगाने के उद्देश्य से इस संस्थान के कार्य और ढांचे में गहरी रूचि व्यक्त की। सीआईएससी उद्योग हितधारकों में वार्ता, सहयोग और वाणिज्य को बढ़ावा देता है और इस्‍पात के लाभ परामर्श समुदाय, निर्माताओं, खरीदारों, शिक्षाविदों और सरकार को प्रदान करता है।
        सीआईएससी इस्‍पात निर्माताओं, फैब्रिकेटर्स, कन्स्ट्रक्टरों, इंजीनियरों, वास्तुकारों, मालिकों, डेवलपर्स, शिक्षकों और छात्रों के विभिन्न समुदायों का प्रतिनिधित्व करता है और क्षमता तथा व्यवसाय को बढ़ाने के लिए अनेक उत्पाद और सेवाएं उपलब्‍ध कराता है। इस प्रतिनिधिमंडल ने आपसी हितों के मुद्दों पर बातचीत करने के लिए इस्‍पात से जुड़े विभिन्न कनाडाई संस्थानों और उद्योग प्रतिनिधियों के साथ टोरंटो में एक संयुक्त बैठक का आयोजन किया। 
         इस बैठक में कुशल खनन, लॉजिस्टिक प्रबंधन और भारतीय अर्थव्यवस्था की इस्पात तीव्रता को बढ़ाना, इस्पात निर्माण में अनुसंधान और विकास तथा निर्माण के लिए पसंदीदा सामग्री के रूप में इस्‍पात को बढ़ावा देने वाले विषय शामिल रहे। 
         इस सम्मेलन में संस्थान कनाडाई इस्पात प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, कनाडा की कोयला एसोसिएशन और कनाडा शीर्ष उद्योगों के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्‍या में भाग लिया। इससे पहले इस प्रतिनिधिमंडल ने ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में एक कोकिंग कोलमाइन का दौरा किया और इसके संचालन कार्य को देखा। 
        कनाडा प्रतिवर्ष लगभग 30 मिलियन टन कोकिंग कोल का निर्यात करता है जिसमें से भारतीय इस्पात कंपनियां लगभग तीन मिलियन टन कोकिंग कोल खरीदती हैं।

Tuesday 18 July 2017

संयुक्त राष्ट्र का अफ्रीकी भागीदारों के लिए शांति स्थापना पाठ्यक्रम

         संयुक्त राष्ट्र का शांति स्थापना केन्द्र (सीयूएनपीके), 17 जुलाई से 4 अगस्त 2017 तक नई दिल्ली में अमरीका के साथ संयुक्त रूप से अफ्रीकी भागीदारों के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना पाठ्यक्रम के दूसरे सत्र का आयोजन कर रहा है। 

       इस पाठ्यक्रम का उद्घाटन मानक शॉ केन्द्र, नई दिल्ली में हुआ। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता श्रीमती रूचि घनश्याम, सचिव (पश्चिम), विदेश मंत्रालय ने की। उन्होंने अधिकारियों का स्वागत किया और उपस्थित लोगों को संयुक्त राष्ट्र के प्रति भारत की प्रतिबधद्ता की जानकारी दी। इस अवसर पर प्रसिद्ध वक्ताओं में शामिल थे ले. जन., जे एस चीमा. उप सेना अध्यक्ष (आईएसएण्डटी), ले. जन. विजय सिंह, महानिदेशक स्टाफ डयूटी, चार्ज डी एफेयर्स नई दिल्ली में अमरीकी दूतावास के मेरीकेल कार्लसन।
         इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र को योगदान देने वाले देशों की अफ्रीकी सैनिक टुकडियों में क्षमताएं बनाना और उनमें वृद्धि करना तथा इन देशों के प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करना है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यह पाठ्यक्रम मुख्य रूप से प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने की संकल्पना पर आधारित है, जो कि भारत द्वारा शांति स्थापना की गतिविधियों में किये गये सक्रिय योगदान के लिए उठाये गए कदमों में से एक है। 
        इस पाठ्यक्रम में भारत सहित 19 देशों के अधिकारी भाग ले रहे हैं। पाठ्यक्रम में शामिल प्रशिक्षु अधिकारी वर्तमान में अफ्रीकी शांति स्थापना प्रशिक्षण संस्थाओँ के संबधित शांति स्थापना प्रशिक्षण केन्द्रों में तैनात हैं। प्रशिक्षण में परिचालन और साजो सामान संबधित मामले, मानवीय मुद्दे, संबधित विषय और ब्लैक-बोर्ड एवं टेबल टॉप अभ्यास तथा अभियानों के संक्षिप्त विवरणों को शामिल किया गया है।
          प्रशिक्षण में अपने संबधित देशों में आगे प्रशिक्षण अधिकारियों को शांति स्थापना की बारीकियां समझाने में प्रशिक्षु अधिकारियों की सहायता के ऊपर भी ध्यान केन्द्रित किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय रूप से इस पाठ्यक्रम को पहले ही कई मायनों में मील का पत्थर माना जा रहा है।

Friday 14 July 2017

यूरोपीय संघ भारत में सबसे बड़े विदेशी निवेशकों में से एक

          यूरोपीय संघ (ईयू) व भारत ने यूरोपीय संघ के भारत में निवेशों के लिए एक निवेश सुविधा तंत्र (आईएफएम) की स्‍थापना की घोषणा की। 

     इस तंत्र से यूरोपीय संघ व भारत सरकार के बीच करीबी तालमेल स्‍थापित हो सकेगा। इसका उद्देश्‍य भारत में यूरोपीय संघ के निवेश को बढ़ावा देना और उसे सुगम बनाना है। 
      यह समझौता मार्च 2016 में ब्रसेल्‍स में यूरोपीय संघ-भारत के 13वें शिखर सम्‍मेलन में जारी संयुक्‍त बयान के दौरान तैयार किया गया था, जिसमें यूरोपीय संघ ने इस प्रकार का एक तंत्र तैयार करने के भारत के फैसले का स्‍वागत किया था। 
           दोनों देशों के नेताओं ने संरक्षणवाद का विरोध करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई थी। साथ ही एक निष्‍पक्ष, पारदर्शी और शासन आधारित व्‍यापार और निवेश माहौल बनाने की वकालत की थी। आईएफएम के अंतर्गत भारत में ईयू के प्रतिनिधिमंडल तथा वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग ने भारत में ईयू के निवेशों का आकलन करने और व्‍यापार में सुगमता के लिए नियमित उच्‍चस्‍तरीय बैठकें आयोजित करने पर सहमति व्‍यक्‍त की थी। 
       इसमें यूरोपीय संघ की कंपनियों और निवेशकों को स्‍थापित करने अथवा उनके कार्य को चलाने के लिए सामने आने वाली प्रक्रिया संबंधी परेशानियों का समाधान निकालने और उसे सामने रखना शामिल है। इस पहल के महत्‍व पर जोर देते हुए भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत तोमास्‍ज़ कोसलोवस्‍की ने कहा कि निवेश सुविधा तंत्र की स्‍थापना यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्‍यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक सही कदम है। 
         यूरोपीय संघ भारत में सबसे बड़ा विदेशी निवेश है और उसकी पहल से यूरोपीय संघ के निवेशकों के लिए अधिक मजबूत, प्रभावी और पूर्वानुमेय व्‍यापार माहौल बनाने में मदद मिलेगी। मार्च, 2016 में आयोजित शिखर सम्‍मेलन में दोनों पक्षों के नेताओं ने अपने संबंधों को नई गति देने का फैसला किया था। हम उसी का पालन कर रहे हैं। 
          डीआईपीपी सचिव रमेश अभिषेक ने कहा कि ‘व्‍यापार में सुगमता’ सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की मूल प्राथमिकता है और भारत में यूरोपीय संघ के निवेश को सुगम बनाने के लिए आईएफएम की स्‍थापना इस उद्देश्‍य को हासिल करने के लिए एक अन्‍य कदम है। आईएफएम की स्‍थापना यूरोपीय संघ की कंपनियों और निवेशकों के भारत में प्रचालन के दौरान उनके सामने आने वाली समस्‍याओं को पहचानने और उन्‍हें हल करने का मार्ग प्रशस्‍त करने के उद्देश्‍य से की गई।
        आईएफएम यूरोपीय संघ की कंपनियों और निवेशकों की दृष्टि से सामान्‍य सुझाव पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच का काम करेगा। उन्‍होंने कहा कि इससे यूरोपीय संघ के निवेशकों को भारत में उपलब्‍ध निवेश के अवसरों का उपयोग करने में प्रोत्‍साहन मिलेगा। 
         सरकारी निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी, इनवेस्‍ट इंडिया भी इस तंत्र का हिस्‍सा होगी। यह यूरोपीय संघ की कंपनियों के लिए एक प्रविष्टि स्‍थल तैयार करेगा, जिसे केन्‍द्रीय अथवा राज्‍य स्‍तर पर निवेश के लिए सहायता की जरूरत होगी। डीआईपीपी मामलों के अनुसार अन्‍य महत्‍वपूर्ण मंत्रालयों और अधिकारों की भागीदारी को भी सुगम बनाएगा। 
       व्‍यापार और निवेश यूरोपीय संघ और भारत के बीच 2004 में शुरू की गई रणनीतिक भागीदारी के प्रमुख तत्‍व हैं। वस्‍तुओं और सेवाओं में पहला व्‍यापार भागीदार होने के साथ यूरोपीय संघ भारत में सबसे बड़े विदेशी निवेशकों में से एक है, जिसका सामान मार्च 2017 तक 81.52 अरब (4.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक) का था। इस समय भारत में यूरोपीय संघ की छह हजार से ज्‍यादा कंपनियां है जो 60 लाख लोगों को प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रही हैं।

Thursday 13 July 2017

भारत व फिलस्तीन के बीच सूचना प्रौद्योगिकी व साइबर सुरक्षा समझौता

     प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारत और फिलस्तीन के बीच सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सहयोग पर आधारित समझौता ज्ञापन के बारे में जानकारी दी गई। 

      इस समझौता ज्ञापन का लक्ष्य ई-गवर्नेंस, एम-गवर्नेंस, ई-पब्लिक सर्विस डिलीवरी, साइबर सुरक्षा, सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क, स्टार्ट-अप इकोसिस्टम आदि के क्षेत्रों में निकट सहयोग को बढ़ावा देना है। 
     यह समझौता दोनों पक्षों के हस्ताक्षर की तिथि से प्रभावी होगा और 5 वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा। दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों से बने सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स पर आधारित एक कार्यसमूह की स्थापना द्वारा इस समझौता ज्ञापन को कार्यान्वित किया जाएगा।
        सूचना संचार प्रौद्योगिकी के दोनों क्षेत्रों- बी2बी और जी 2 जी में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाया जाएगा। रोजगार के अवसर बढ़ाने में सहायक बी 2 बी सहयोग में सुधार लाना इसका लक्ष्य है। अंतरराष्ट्रीय और द्विपक्षीय स्तरों पर भारत की ओर से फिलस्तीन के हितों का मजबूत राजनीतिक समर्थन दिया जा रहा है। 
         फिलस्तीन के लोगों के लिए भारत की ओर से सामग्री और तकनीकी सहायता दी जाती है। सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सहयोग पर आधारित समझौते की शुरुआत नवंबर 2016 में जेसीएम के पहले सत्र के दौरान की गई थी।
       कई वार्ताओं के मसौदे के बाद समझौता ज्ञापन को अंतिम रुप दिया गया और मई 2017 में फिलस्तीन के अति महत्वपूर्ण व्यक्ति के दौरे के अवसर पर इस पर हस्ताक्षर किए गए।

Wednesday 12 July 2017

भारत जैसे देशों में कच्चे तेल के लिए एक जबावदेह कीमत की आवश्यकता

         केन्द्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) धर्मेन्द्र प्रधान ने भारतीय तेल और गैस प्रक्षेत्र में वर्तमान आर्थिक रणनीतियां विषय पर मंत्री स्तरीय सत्र की अध्यक्षता की। 

       उन्होनें तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित 22 वें विश्व पेट्रोलियम कांग्रेस में तेल, गैस व उत्पाद की आपूर्ति तथा मांग की चुनौतियां विषय पर आधारित पूर्ण सत्र की भी अध्यक्षता की। प्रधान ने कहा कि भारत जैसे एशियाई देश तेजी से विकसित हो रहे है। बढ़ते मध्यम वर्ग के कारण बिजली तथा रसोई व यातायात ईंधन की मांग में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। जब आय बढती है तो दैनिक जीवन के सामानों की मांग में भी बढ़ोत्तरी होती है। इससे पेट्रोकेमिकल के लिए कच्चे माल की मांग में भी वृद्धि हो रही है। 
          उन्होनें भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि 2035 तक देश में ऊर्जा खपत की मांग दोगुनी हो जाएगी। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां अगले एक दशक से ज्यादा समय तक मांग में वृद्धि बनी रहेगी। मंत्री ने भारत जैसे देशों में कच्चे तेल के लिए एक जबावदेह कीमत की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा की यह सामान्य लोगों को ऊर्जा उपलब्ध कराने में सहायता प्रदान करेगा।
           उन्होनें इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि आज बाजार में आपूर्ति-आधिक्य है, ऐसी स्थिति में उत्पादकों को उपभोक्ताओं और मांग-केन्द्रों के दृष्टिकोण को भी समझना चाहिए। उपभोक्ताओं के लिए आपूर्ति की सुरक्षा आवश्यक है और इसी प्रकार उत्पादकों के लिए भी मांग की सुरक्षा आवश्यक है।
         प्रधान ने तुर्की के ऊर्जा मंत्री बेरट अल्बेरक से द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों मंत्रियों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा सहित द्वपक्षीय ऊर्जा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा हुई। 
     दोनों मंत्री इस बात पर सहमत थे कि ई और पी तथा निम्न प्रवाह प्रक्षेत्र में साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होनें अन्य देशों में भी साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई।

Tuesday 11 July 2017

फिनलैंड से व्‍यापार व निवेश को सशक्‍त बनाने पर चर्चा

     फिनलैंड के प्रधानमंत्री जुहा‍ सिपिला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर बात की।

  सिपिला ने ऐतिहासिक वस्‍तु एवं सेवाकर को सफलतापूर्वक लागू कराने के लिए प्रधानमंत्री को बधाई दी।
        इस दौरान दोनों नेताओं ने फरवरी 2016 में हुई अपनी आखिरी मुलाकात के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की। 
       सिपिला गत वर्ष फरवरी को मुंबई में आयोजित मेक इन इंडिया सप्‍ताह में भाग लेने भारत आए थे। दोनों नेताओं के बीच आज की बातचीत में द्विपक्षीय व्‍यापार और निवेश संबंधों को सशक्‍त बनाने के उपायों पर भी चर्चा की गई।