Thursday 20 July 2017

वैश्विक चुनौतियों से निपटने का एकमात्र साधन सामूहिक जिम्मेदारी

         केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रमुख सदस्‍य देशों के प्रतिनिधियों, महानिदेशक डब्‍ल्‍यूटीओ और अंकटाड के महासचिव के साथ परस्‍पर विचार विमर्श करने के लिए जिनेवा का दौरा किया। 

    विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक के साथ अपनी बैठक के दौरान वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने यह उल्‍लेख किया कि भारत डब्ल्यूटीओ के ग्यारहवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन ('एमसी 11') में किस प्रकार के परिणामों को देखना चाहता है। उन्होंने विशेष रूप से जोर दिया कि एमसी 11 के परिणामों में खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों (पीएसएच) के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के बारे में स्थायी समाधान शामिल होना चाहिए जिसके लिए एक मंत्रालयीय जनादेश है। 
        उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक से अनुरोध किया कि पीएसएच और कृषि विशेष सुरक्षा तंत्र के बारे में अंतिम रूप से निर्णय लेने के प्रयासों के लिए जोरदार कार्रवाई की जाए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया ई-कॉमर्स और निवेश सुविधा जैसे नए मुद्दों पर परिणाम प्राप्‍त करने के लिए किए जाने वाले प्रयास दोहा वार्ता के एजेंडे के लंबे समय से लंबित अन्‍य मुद्दों की कीमत पर नहीं किए जाने चाहिए।
          वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने बहुपक्षीय सुधार विषय पर अंतर्राष्ट्रीय और विकास अध्ययन के लिए ग्रेजुएट संस्थान को भी संबोधित किया। इस कार्यक्रम में 350 से अधिक राजनयिकों, विभिन्न अंतर-सरकारी संगठनों, वकीलों, शिक्षाविदों, छात्रों और मीडिया के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 
      वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के एक संस्थापक सदस्य के रूप में भारत का बहुपक्षवाद का कट्टर समर्थक होने का एक लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की स्थिति में अभी हाल में हुए परिवर्तनों ने आमतौर पर बहुपक्षीयवाद और विशेष रूप से बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को किस प्रकार प्रभावित किया है। 
            उन्होंने बहुपक्षीयवाद की भावना को पुन: मजबूत बनाने, विशेष रूप से प्रणालियों को मजबूती प्रदान करने संरक्षणवाद का मुकाबला करने और विकास को बढ़ावा देने के बारे में कई सुझाव दिए। व्यापार के लिए भारत के खुलेपन पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि वार्ता के लिए भारत का दृष्टिकोण गहरी और मजबूत प्रतिबद्धता पर आधारित है ताकि व्यापार वार्ता में विकास के मुद्दों का समाधान किया जा सके। 
           उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों से आग्रह किया कि वे समय के अनुरूप काम करें और बहुपक्षीय सुधार के लिए सामूहिक जिम्मेदारी लें क्‍योंकि व्यापार में वैश्विक चुनौतियों से निपटने का यही एकमात्र साधन है।
          वाणिज्य और उद्योग मंत्री के संबोधन को सबने ध्‍यान से सुना और उसके बाद दर्शकों के साथ जीवंत बातचीत हुई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने दक्षिण केंद्र का भी दौरा किया जो विकासशील देशों का एक अंतर-सरकारी संगठन है और वे अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अपने साझा हितों को बढ़ावा देने के प्रयासों और विशेषज्ञता को जोड़ने में मदद करता है। 
          उन्‍होंने दक्षिण केंद्र से विकासशील देशों के मध्‍य वार्ता के लिए सहयोग निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को जारी रखने का आग्रह किया ताकि वे विश्व व्यापार संगठन में अपने देय हितों से वंचित न हों। वार्ता में शामिल प्रतिभागियों में प्रमुख विकासशील सदस्य देशों के राजदूत भी शामिल थे। एम सी 11 के परिणामों में उनके दृष्टिकोणों लाभदायक विचारों का आदान-प्रदान हुआ। 
         श्रीमती सीतारमण ने विभिन्न विश्व व्यापार संगठन वार्ता के भविष्‍य एमसी 11 के संभावित परिणामों के बारे में चुनिंदा राजदूतों और विभिन्‍न विश्व व्यापार संगठन वार्ता समूह के अध्यक्षों के साथ मिलकर एक बैठक का भी आयोजन किया। 
         इस बैठक में प्रतिभागियों में विश्व व्यापार संगठन की वार्ताओं के विभिन्‍न पहलुओं पर अपने विचार और दृष्टिकोण साझा किए। बातचीत के दौरान साझा स्थिति और रूख की पहचान की गई। अपनी जिनेवा की उनकी यात्रा के दौरान श्रीमती सीतारमण ने अंकटाड के महासचिव और अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार केंद्र के कार्यकारी निदेशक के साथ भी बातचीत की। इन बैठकों के दौरान इन संस्‍थाओं की भारत के साथ और उसकी ओर से की जा रही गतिविधियों की सराहना की और गतिविधियों को और आगे बढ़ाने का सुझाव दिया।

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