Thursday 24 August 2017

एससीओ देशों में प्राकृतिक आपदाओं से 3,00,000 लोगों की मृत्‍यु

      आपात स्थिति की रोकथाम और समाप्ति पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) देशों के सरकारों के प्रमुखों की 9वीं बैठक में किर्गिज गणराज्‍य के चोलपोन-एटा में भारत की ओर से गृहमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा वक्‍तव्‍य दिया गया।

     भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘भारत इस 9वीं बैठक के इस शानदार आयोजन के लिए किर्गिज गणराज्‍य के राष्‍ट्रपति अलमाजबेक एतामबयेव और मंत्री बोरोनोव को हार्दिक धन्‍यवाद देता है। मुझे बताया गया है कि कल विशेषज्ञों के समूहों की बैठक दोस्‍ताना माहौल में आपातस्थिति की रोकथाम और समाप्ति के लिए व्‍यापक कार्यक्रम विकसित करने के उद्देश्‍य से हुई।
       शंघाई सहयोग संगठन के नये सदस्‍यों के रूप में हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि इस बैठक के लिए सहयोग के क्षेत्रों की पहचान समय से और उचित रूप में की गई है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वर्ष 1996 से 2015 की अवधि में एससीओ देशों में प्राकृतिक आपदाओं से 3,00,000 लोगों की मृत्‍यु हुई। आर्थिक रूप से भी भारी नुकसान हुआ। 
     हम प्राकृतिक और मानव निर्मित जोखिमों से घिरे हुए है। भूकंप, बाढ़, तूफान, चट्टानें खिसकने और महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बड़े पैमानों पर लोगों की मृत्‍यु होती है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए जल और मौसम संबंधी जोखिम बढ़ने की संभावना है। यदि हम अपने समुदाय, अपनी पूंजी और अपनी आर्थिक गतिविधियों को मजबूत नहीं बनाते, तो आपदाओं से होने वाला नुकसान बढ़ता रहेगा। अपनी आर्थिक वृद्धि और अपना सतत मानव विकास सुनिश्चित करने के लिए एससीओ देशों के लिए जोखिम कम करना महत्‍वपूर्ण है। 
        गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आपस में जुड़ी दुनिया में जोखिम में कमी महज आर्थिक गतिविधि नहीं है। विश्‍व के एक हिस्‍से में हुई कार्रवाई का असर विश्‍व के दूसरे हिस्‍सों पर भी पड़ता है। दो भौगोलिक क्षेत्रों में आपदाओं का कोई सीधा सम्‍पर्क नहीं है फिर भी आपदा की रोकथाम की चुनौती विश्‍व में सबके लिए समान है। इसलिए हमें निरंतर रूप से एक-दूसरे से सीखना चाहिए, नवाचार को प्रोत्‍साहित करना चाहिए ताकि हम अपने लिए और आने वाली पीढि़यों के लिए सुरक्षित विश्‍व का निर्माण कर सकें।
       गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मानवता का लगभग 40 प्रतिशत हिस्‍सा हमारे देश में रहता है। हम तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था हैं। यदि हम आपदाओं तथा आपात स्थितियों को रोकने और उनके प्रभावों को कम करने में सफल होंगे, तो पूरी दुनिया को इससे लाभ होगा। जब तक शंघाई सहयोग संगठन के देश आपदा जोखिम कम करने के लक्ष्‍य को प्राप्‍त नहीं करते, तब तक सेंडई रूपरेखा में शामिल लक्ष्य और सतत विकास के लक्ष्‍यों को 2030 तक हासिल नहीं किया जा सकता। 
       इसलिए हम सभी के लिए इस क्षेत्र में अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग महत्‍वपूर्ण है। हम भारत में मृत्‍यु और नुकसान को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। हम आपदाओं से होने वाली मृत्‍यु की प्रवृत्ति का विश्‍लेषण कर रहे हैं और सटीक कदम उठा रहे हैं। हम फैलीन और हुदहुद जैसे दो बड़े तूफानों से कारगर तरीके से सामना करने में सफल रहे है। यह सफलता दशकों की नीतिगत पहल, पूर्व चेतावनी क्षमता में वृद्धि, अग्रिम रूप से तैयारी, प्रशिक्षण और क्षमता विकास के कारण मिली है। 
       इन दो आपदाओं में मरने वालों की संख्‍या घटकर 45 रही, जबकि1999 में ओडिशा में आये तूफान से 10,000 लोग मरे थे। दूसरे शब्‍दों में एक दशक से थोड़ा अधिक समय में हम मृत्‍यु दर को एक प्रतिशत से भी नीचे करने में सफल रहे हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि तूफान संबंधी मृत्‍यु में कमी लाने के अतिरिक्‍त हमने अत्‍यधिक तापमान के कारण होने वाली मृत्‍यु को कम करने के लिए आवश्‍यक कदम उठाया। सभी लोगों-मौसम वैज्ञानिकों, आपदा प्रबंधकों, सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों, स्‍थानीय निकायों, निर्माणस्‍थल के प्रबंधकों, जल तथा बिजली सप्‍लाई करने वाले विभागों के साथ काम करके हमने गर्म हवाओं के बारे में चेतावनी व्‍यवस्‍थाओं में सुधार किया और यह व्‍यवस्‍था स्‍थानीय स्‍तर पर लागू की गई है। 
        इससे हमें गर्म हवाओं से मरने वाले लोगों की संख्‍या कम करने में मदद मिली है। गर्मी से 2015 में जहां 2000 लोगों की मृत्‍यु हो गई थी, वहीं 2017 में गर्म हवाओं से 250 लोग ही मरे। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भूकंप जैसी घटनाओं से मृत्‍यु जोखिम कम करना दीर्घकालिक प्रयास है, लेकिन हमने इस दिशा में शुरूआत कर दी है। सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए हमने राष्‍ट्रीय और स्‍थानीय स्‍तरों पर जोखिम दृढ़ता प्रबंधन में सुधार किया है। 2016 में लॉन्‍च की गई हमारी राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना में प्रणालीगत विषयों को शामिल किया गया है। 
     राष्‍ट्रीय योजना के अतिरिक्‍त हमारे सभी राज्‍यों और 90 प्रतिशत जिलों ने आपदा प्रबंधन योजना पूरी कर ली है। भारत मानता है कि शंघाई सहयोग संगठन के ढांचे के अंदर आपदा और आपात स्थितियों की रोकथाम पर सहयोग से हमारे घरेलू प्रयासों को बल मिलेगा। साथ-साथ भारत के उपयोगी कार्यों से एससीओ के सदस्‍य देश भी लाभांवित हो सकेंगे। सहयोग के सम्‍पूर्ण दायरे में मैं आपके विचार के लिए तीन विशेष विषयों का उल्‍लेख करना चाहूंगा। 
       गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पहला भूकंप संबंधी नुकसान को कम करने पर सहयोग है। पिछले 20 वर्षों में 2,00,000 लोग भूकंप से मरे हैं। दो तिहाई आपदा संबंधी मृत्‍यु शंघाई सहयोग संगठन देशों में होती है। भविष्‍य में नुकसान को कम करने के लिए ठोस सहयोग गतिविधियों को विकसित करना आवश्‍यक है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस संबंध में एक संयुक्‍त शहरी भूकंप खोज और बचाव अभ्‍यास हमारी सामूहिक तैयारी को सुधारने में मददगार साबित होगा। 
     संयुक्‍त अभ्‍यास से न केवल अंतर्राष्‍ट्रीय रूप से मान्‍य प्रक्रियाओं को समान रूप से समझने में मदद मिलेगी बल्कि इससे व्‍यक्तिगत परिचय और मित्रता भी होगी और यह आपदा प्रबंधन में सहायक साबित होता है। भारत 2019 में ऐसे संयुक्‍त अभ्‍यास की मेज़बानी का प्रस्‍ताव करता है। 
     गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इसके अतिरिक्‍त भूकंप को सहन करने वाले भवन निर्माण मॉडल भवन संहिता और परिपालन सुनिश्चित करने की मानक प्रक्रियाओं के बारे में ज्ञान और अनुभव के आदान-प्रदान करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की बैठक भी आयोजित की जा सकती है। इससे भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए मध्‍यम और दीर्घावधि के विषयों का समाधान निकाला जा सकता है। 
       गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दूसरा, आपदा सहन करने वाली संरचना तैयार करने के लिए हम क्षेत्रीय सहयोग कर सकते हैं। आने वाले दशकों में एससीओ देशों में अवसंरचना में निवेश सतत विकास के लिए प्रेरक होगा। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि अववसंरचना आपदा प्रभाव सहन करने में सक्षम हो।
       अंत में अत्यधित तापमान के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली के क्षेत्र में भी हमें आपस में सहयोग करने की जरूरत है। एसीओ देशों का जलवायु और मौसम की स्थिति अलग- अलग हो सकती है लेकिन आपदाओं का अनुमान और पूर्व चेतावनी जारी करना सबके लिए समान है। 
     गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम इसी संकल्प के साथ एससीओ ढांचे में काम करते रहेंगे। मैं 2019 में भारत में फोरम की अगली बैठक की मेजबानी का प्रस्ताव करता हूं।

भारतीय नौसेना बैण्ड रूस में होने वाले अंतरराष्ट्रीय सेना संगीत समारोह में भाग लेगा

          अंतरराष्ट्रीय सैन्य संगीत समारोह "स्पस्काया टॉवर" रूस और दुनिया के अन्य देशों के सर्वश्रेष्ठ म्यूजिक बैण्ड की ऐसी परेड है जो प्रतिवर्ष मॉस्को के लाल चौक में आयोजित की जाती है। 

     यह संगीत पर्व एक विशद आयोजन है जिसमें सैन्य संगीतकार विश्व के विभिन्न देशों की सैन्य, राष्ट्रीय और कला आधारित विविध परंपराओं का प्रदर्शन करते हैं।
     प्रति वर्ष करीब 40 देशों के 1500 से ज्यादा संगीतकार, सेनाओं से जुड़े लोग और कलाकार "स्पस्काया टॉवर" में अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। यह उचित ही है कि इस पर्व को रूस के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में से एक माना जाता है जिसे जन-सामान्य से शानदार समर्थन प्राप्त होता है। 
      इस वर्ष "स्पस्काया टॉवर" को 24 अगस्त से 03 सितंबर 2017 के बीच आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर भारतीय सेना के तीनों अंगों के सम्मिलित बैण्ड को इस प्रतिष्ठित आयोजन में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया गया है। 
      इस आयोजन में तीनों सेवाओं के सम्मिलित बैण्ड की भागीदारी से दोनों देशों के सैन्य बलों के संबंध तो बेहतर होंगे ही साथ ही यह भारतीय सेनाओं के बैण्ड की पेशेवर कुशलता का भी द्योतक है। तीनों सेनाओं के इस सम्मिलित बैण्ड में 07 अधिकारी और 55 पीबीओआर शामिल हैं।
      बैण्ड की नौसेना टुकड़ी के 01 अधिकारी और 09 संगीत नाविकों के दल का नेतृत्व पूर्वी नौसेना कमाण्ड के कमाण्ड म्यूजिशियन ऑफिसर कमाण्डर सतीश के चैंपियन कर रहे हैं। तीनों सेनाओं का यह सम्मिलित बैण्ड 23 अगस्त को नई दिल्ली से मॉस्को के लिये रवाना हुआ।

तस्‍करी की रोकथाम के लिए भारत और नेपाल के बीच समझौता

        प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नारकोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रोपिक पदार्थ और अग्रगामी रसायन एवं संबंधित मामलों में ड्रग की मांग घटाने एवं अवैध तस्‍करी की रोकथाम पर भारत और नेपाल के बीच समझौता को मंजूरी दी। 

     यह समझौता ज्ञापन दोनों देशों के बीच ड्रग मामलों पर सहयोग के क्षेत्रों को सूचीबद्ध करता है। साथ ही यह दोनों देशों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक ढांचा और सक्षम अधिकारियों को भी इंगित करता है जो इस एमओयू के कार्यान्‍वयन एवं किसी भी सूचना के आदान-प्रदान के लिए जिम्‍मेदार होंगे। 
    ड्रग मामलों में सहयोग से दोनों देशों के बीच नारकोटिक ड्रग्स, साइकोट्रोपिक पदार्थ और अग्रगामी रसायनों की अवैध तस्‍करी पर रोक लगने की उम्‍मीद है। इस एमओयू के तहत दोनों पक्षों को नि‍म्‍नलिखित प्रयास करने होंगे, नारकोटिक ड्रग्स, साइकोट्रोपिक पदार्थ और उनके अग्रगामी रसायनों में अवैध तस्‍करी के मुद्दे को प्रभावी तरीके से निपटाने के मद्देनजर आपसी सहयोग विकसित करना और रोकथाम, जागरूकता, शिक्षा एवं समुदाय आधारित कार्यक्रमों, उपचार एवं पुनर्वास के माध्‍यम से ड्रग की मांग घटाने में सहयोग करना। 
      नशीली दवाओं के मामलों में परिचालन, तकनीकी एवं सामान्‍य प्रकृति की सूचनाओं का आदान-प्रदान करना। साथ ही, मौजूदा कानूनों, नियमों, प्रक्रियाओं, सर्वोत्तम प्रथाओं और नारकोटिक ड्रग्स, साइकोट्रोपिक पदार्थ एवं उनके अग्रगामी रसायनों में अवैध तस्‍करी की रोकथाम के तरीकों एवं मौजूदा कानून में किसी भी संशोधन के दस्‍तावेजों का आदान-प्रदान करना।
      भारत ने मादक पदार्थों की तस्करी की रोकथाम के लिए वैश्विक प्रयासों का हमेशा समर्थन किया है। वह इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के नेतृत्‍व में चलाए गए कई द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय अभियानों में एक पार्टी रहा है। नारकोटिक ड्रग्स पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों की भावना के अनुसार पड़ोसी देशों एवं हमारे देश में नशीली दवाओं की स्थिति पर प्रत्‍यक्ष प्रभाव डालने वाले देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते/एमओयू करने की कोशिश की गई है। 
      कई देशों के साथ इस प्रकार के द्विपक्षीय समझौतों/एमओयू को पहले से ही अंजाम दिया गया है। नेपाल के साथ प्रस्तावित समझौता इसी तरह का एक अन्‍य समझौता है जो नशीली दवाओं के मामलों में द्विपक्षीय सहयोग के उद्देश्‍य से किया गया है।