Wednesday 12 July 2017

भारत जैसे देशों में कच्चे तेल के लिए एक जबावदेह कीमत की आवश्यकता

         केन्द्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) धर्मेन्द्र प्रधान ने भारतीय तेल और गैस प्रक्षेत्र में वर्तमान आर्थिक रणनीतियां विषय पर मंत्री स्तरीय सत्र की अध्यक्षता की। 

       उन्होनें तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित 22 वें विश्व पेट्रोलियम कांग्रेस में तेल, गैस व उत्पाद की आपूर्ति तथा मांग की चुनौतियां विषय पर आधारित पूर्ण सत्र की भी अध्यक्षता की। प्रधान ने कहा कि भारत जैसे एशियाई देश तेजी से विकसित हो रहे है। बढ़ते मध्यम वर्ग के कारण बिजली तथा रसोई व यातायात ईंधन की मांग में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। जब आय बढती है तो दैनिक जीवन के सामानों की मांग में भी बढ़ोत्तरी होती है। इससे पेट्रोकेमिकल के लिए कच्चे माल की मांग में भी वृद्धि हो रही है। 
          उन्होनें भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि 2035 तक देश में ऊर्जा खपत की मांग दोगुनी हो जाएगी। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां अगले एक दशक से ज्यादा समय तक मांग में वृद्धि बनी रहेगी। मंत्री ने भारत जैसे देशों में कच्चे तेल के लिए एक जबावदेह कीमत की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा की यह सामान्य लोगों को ऊर्जा उपलब्ध कराने में सहायता प्रदान करेगा।
           उन्होनें इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि आज बाजार में आपूर्ति-आधिक्य है, ऐसी स्थिति में उत्पादकों को उपभोक्ताओं और मांग-केन्द्रों के दृष्टिकोण को भी समझना चाहिए। उपभोक्ताओं के लिए आपूर्ति की सुरक्षा आवश्यक है और इसी प्रकार उत्पादकों के लिए भी मांग की सुरक्षा आवश्यक है।
         प्रधान ने तुर्की के ऊर्जा मंत्री बेरट अल्बेरक से द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों मंत्रियों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा सहित द्वपक्षीय ऊर्जा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा हुई। 
     दोनों मंत्री इस बात पर सहमत थे कि ई और पी तथा निम्न प्रवाह प्रक्षेत्र में साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होनें अन्य देशों में भी साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई।

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