Sunday 4 June 2017

अंतर्राष्ट्रीय शांति व स्थिरता के समक्ष वैश्विक आतंकवाद सबसे गंभीर चुनौती

           केंद्रीय संसदीय मामले व कृषि तथा किसान कल्याण राज्य मंत्री एस.एस. अहलूवालिया ने नार्वे में भारतीय संसदीय शिष्टमंडल की तीन दिन की यात्रा के दौरान उसका नेतृत्व किया। 

       यह यात्रा दोनों देशों के बीच संसदीय संबंध बढ़ाने के मकसद से की गई। यात्रा के दौरान शिष्टमंडल ने नार्वे सरकार के विभिन्न विभागों के मंत्रियों और अधिकारियों के साथ मुलाकात की। इन बैठकों के दौरान अहलूवालिया ने कहा कि भारत और नार्वे को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष, समुद्री सहयोग, जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, मत्स्य उद्योग, कृषि, बागवानी तथा कार्बनिक खेती के बारे में प्रौद्योगिकी के आदान प्रदान जैसे क्षेत्रों में सहयोग अधिक सुदृढ़ करना चाहिए। 

           आतंकवाद के वैश्विक खतरे के बारे में अहलूवालिया ने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता के समक्ष सबसे गंभीर चुनौती है। इससे मानवाधिकारों का हनन होता है और लोकतांत्रिक राष्ट्रों के सामाजिक तथा आर्थिक विकास में बाधा आती है। अहलूवालिया ने इस बात पर जोर दिया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए। 

              उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद की कड़ी निंदा करता है। आतंकवादियों को पनाह, हथियार, प्रशिक्षण या धन देने वाले राष्ट्रों को कतई सहन नहीं करने के पक्ष में है। अहलूवालिया ने कहा कि भारत और नार्वे संयुक्त राष्ट्र में एक दूसरे का समर्थन करते रहे हैं। दोनों देशों को इस क्षेत्र में अधिक सहयोग करने की आवश्यकता है। 

           अहलूवालिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के भारत के दावे का समर्थन करने के लिए नार्वे का आभार व्यक्त किया। मत्स्य उद्योग के क्षेत्र में सहयोग के बारे में अहलूवालिया ने कहा कि जल-जीवपालन प्रणालियों का पुनश्चक्रण भारत के लिए नया विषय है। इस उच्च उत्पादन तकनीक के लिए भारत, नार्वे से तकनीकी जानकारी और विशेषज्ञता के आदान प्रदान की उम्मीद करता है। भारतीय शिष्टमंडल ने नार्वे में भारतीय समुदाय के साथ भी विचार विमर्श किया। भारतीय राजदूत देवराज प्रधान द्वारा आयोजित भोज में हिस्सा लिया।

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