Friday 26 May 2017

देश के तीसरे सबसे बड़े भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की आधारशिला

                प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने असम के गौमुख में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्‍थान की आधारशिला रखी। इस अवसर पर एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस कार्य के लिए असम सरकार तथा वहां के मुख्‍यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल को बधाई दी। आईएआरआई की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे भविष्‍य में पूरे क्षेत्र में एक सकारात्‍मक प्रभाव पड़ेगा। उन्‍होंने कहा कि 21वीं सदी की जरूरतों के साथ आज कृषि को विकसित करने की जरूरत है। 

         प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को बदलती तकनीकों का लाभ मिलना चाहिए। प्रधानमंत्री ने आधुनिक कृषि और क्षेत्र की विशेष जरूरतों पर ध्‍यान केन्द्रित करने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने 2022 तक, स्‍वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर किसानों की आय दोगुनी करने के अपने उद्देश्‍य पर भी बात की। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने गोगामुख, धेमाजी, असम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, असम के शिलान्यास समारोह के अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री जी ने संकल्प लिया है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करेंगे और हम ऐसा करके दिखाने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। इसी क्रम में, देश के पूर्वोत्तर राज्यों में कृषि, एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ाने की अपार संभावनाओं को देखते हुए कृषकों का ज्ञानवर्धन करने, उचित कृषि संबंधी जानकारी देने तथा देश में कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा का उत्कृष्ट स्तर बनाये रखने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की एक और शाखा असम में खोली जा रही है। 


           उन्होंने कहा कि इस संस्थान की स्थापना कृषि उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के साथ उच्च स्तरीय शिक्षा एवं अनुसंधान प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है और आने वाले समय में देश के पूर्वोत्तर भाग में रहने वाले किसानों के जीवन स्तर में निश्चित तौर पर इससे बदलाव दिखाई पड़ेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और कृषि मंत्रालय की कुछ उपलब्धियां हैं।

             भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की यात्रा 1905 में उत्तरी बिहार के दरभंगा (समस्तीपुर) जिले के पूसा नामक जगह से प्रारंभ हुई थी। उस समय इसका नाम कृषि अनुसंधान संस्थान रखा गया था। बाद में इसका नाम 1911 में बदलकर इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च और 1919 में इंपीरियल एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट किया गया। इसके बाद 29 जुलाई, 1936 में यह संस्थान दिल्ली में स्थानांतरित किया गया।

            स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पुनः इस संस्थान का नाम बदलकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान रख दिया गया और 1958 में इसे डीम्ड यूनीवर्सिटी का दर्जा दिया गया। हरित क्रांति का सूत्रधार होने की महत्वपूर्ण भूमिका भी इसी संस्थान द्वारा यहां विकसित तकनीकियों, नई एवं उन्नत किस्मों के विकास तथा किसानों के खेतों पर किये गये वैज्ञानिक प्रदर्शनों के माध्यम से निभाई गई। देशभर में जिस तरह से आईआईटी और आईआईएम जैसी उच्च शिक्षा संस्थानों का जाल बिछा हुआ है, ठीक उसी तरह कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली की तर्ज पर देश में और कृषि अनुसंधान संस्थानों की स्थापना करने की योजना मोदी सरकार द्वारा बनाई गई है। इस क्रम में पहले झारखंड और अब असम में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की शुरूआत की जा रही है।

             सरकार कृषि के प्रति कितनी गंभीर है यह इसी बात से पता चलता है कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में वर्तमान सरकार ने कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए गत चार वर्षों में कृषि बजट में (2014-15 से 2017-18) के लिए 1,64,415 करोड़ रूपये आवंटित किये गये जोकि यू.पी.ए. सरकार के वर्ष (2010-11 से 2013-14) 1,04,337 करोड़ रूपये की तुलना में 57.58 प्रतिशत अधिक है। जहां दूध का उत्पादन वर्ष 2011-2014 तीन वर्ष में 398 मिलियन मीट्रिक टन के अनुपात में वर्ष 2014-2017 में 465.5 मिलियन मीट्रिक टन है जो 16.9 प्रतिशत अधिक है। वहीं मछली उत्पादन में वर्ष 2011-14 तीन वर्ष में 272.88 लाख टन की तुलना में 2014-17 में बढकर 327.74 लाख टन हो गया जो 20.1 प्रतिशत की वृद्धि है। इसी प्रकार वर्ष 2011-14 तीन वर्ष में 210.93 बिलियन की तुलना में अंडा उत्पादन 2014-17 में 248.72 बिलियन हो गया है जो 17.92 प्रतिशत अधिक है। शहद उत्पादन मे 2011-14 तीन वर्ष में 2,18,950 मि. टन की तुलना में वर्ष 2014-17 में 2,63,930 मि. टन हो गया है जो 20.54 प्रतिशत अधिक है। 

            वर्तमान सरकार द्वारा इस दौरान कई किसानोपयोगी योजनाओं एवं कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है, जिनमें मृदा उर्वरता में सुधार हेतु मृदा स्वास्थ्य कार्ड; जैविक कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से परंपरागत कृषि विकास योजना के अलावा 400 करोड़ रुपये की लागत से शुरु की गई उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए जैविक वैल्यू चेन विकास मिशन का लाभ किसानों को मिल रहा है। देश की 585 थोक मंडियों को एक ई-प्लेटफार्म से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम तेजी से काम कर रहा है। किसानों को आपदा से होने वाले नुकसान से बचाने हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना आदि का प्रमुख रूप से उल्लेख करना चाहूंगा। कृषि मंत्री ने आखिर में प्रधानमंत्री जी का आभार प्रकट किया कि उनके मार्गदर्शन में देश के पूर्वोत्तर हिस्से में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना का सपना पूरा हो रहा है।

No comments:

Post a Comment