Friday 13 October 2017

वैश्‍विक प्रभावों को समझना आवश्‍यक, खासतौर से कारोबारी

     वॉशिंगटन। वित्‍त एवं कारपोरेट मामलो के मंत्री अरुण जेटली ने वॉशिंगटन डीसी में आयोजित जी-20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नरों की बैठक में हिस्‍सा लिया।

  बैठक के दौरान विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था और विकास रूप-रेखा, अफ्रीका के साथ संबद्धता और अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय संरचना पर चर्चा की गई। वित्‍त मंत्री अरुण जेटली इस समय अमेरिका के एक हफ्ते के दौरे पर हैं, जहां उन्‍हें अन्‍य संस्‍थानों सहित विश्‍व बैंक और अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठकों में शामिल होना है।
    जी-20 रूपरेखा कार्य समूह (एफडब्‍ल्‍यूजी) के सह-अध्‍यक्ष के रूप में भारत ने ‘विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था और विकास रूप-रेखा’ पर दूसरे दौर के सत्र के दौरान प्रमुख हस्‍तक्षेप किया था। इस दौर में ‘मजबूत, टिकाऊ और संतुलित विकास’ (एसएसबीजी) पर आईएमएफ जी-20 रिपोर्ट पर चर्चा की गई थी। 
    वित्‍त मंत्री जेटली ने कहा कि यह रिपोर्ट विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था के सामने मौजूद चुनौतियों को समझने और उनके लिए जी-20 की कारगर प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए उपयोगी सामग्री प्रदान करती है। वित्‍तमंत्री ने कहा कि सदस्‍य देशों की घरेलू नीतिगत गतिविधियों के वैश्‍विक प्रभावों को समझना बहुत आवश्‍यक है। इसके संबंध में खासतौर से कारोबारी और वित्‍तीय नियमों को ध्‍यान में रखना होगा। 
     उन्‍होंने सुझाव दिया कि आईएमएफ एसएसबीजी रिपोर्ट को संभावित विश्‍लेषक उपायों की परख के लिए इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए ताकि उनके द्वारा नीति प्रभावों को समझा जा सके। उन्‍होंने कहा कि इसे संभव बनाने के लिए सदस्‍यों को विस्‍तृत जानकारी उपलब्‍ध कराई जानी चाहिए।
   हर देश की नीति को स्‍पष्‍ट रूप से पेश किया जाए और प्रमुख चुनौतियों के संबंध में उपयुक्‍त कार्रवाई को आपस में साझा किया जाए। ऐसा करने से चुनौतियों को बेहतर तरीके से समझने में सहायता होगी, जो सभी सदस्‍यों के लिए लाभप्रद है। 
     अफ्रीका के साथ संबद्धता पर जी-20 सत्र के दौरान विभिन्‍न विषयों तथा अफ्रीका सलाहकार समूह के कार्यों की प्रगति का जायजा लिया गया। अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय संरचना सत्र में पूंजी प्रवाह की निगरानी, विश्‍व वित्‍तीय सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने और संरचना निवेश के लिए वित्‍त पोषण के संबंध में एमडीबी की क्षमता बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
     वित्‍त मंत्री अरुण जेटली अन्‍य संस्‍थानों सहित विश्‍व बैंक और अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठकों में शामिल होने के लिए इस समय अमेरिका के एक हफ्ते के दौरे पर हैं। उनके साथ भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल, आर्थिक मामलो के विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और अन्‍य अधिकारी भी गए हैं।

Sunday 8 October 2017

भारत सऊदी तेल, एलपीजी का सबसे बड़ा बाजार

     गुरूग्राम। केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने गुरूग्राम में सउदी आर्मको के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अमीन एच.एएल-नसीर के साथ संयुक्त रूप से सऊदी अरमको के आर्मको एशिया इंडिया कार्यालय का उद्घाटन किया। यह कार्यालय टू होरिज़न टॉवर गुरूग्राम में स्थित है। 

   सऊदी आर्मको ने अपनी सहायक आर्मको एशिया इंडिया के द्वारा वर्ष 2016 में भारत में अपने औपचारिक व्यापार की शुरूआत की थी। एएआई अब औपचारिक रूप से कच्चे तेल और एलपीजी व्यापार, अभियांत्रिकी एवं तकनीकी सेवाओं और अन्य व्यापार विकास उद्योगिता के साथ जुड़ेगा। 
   इस अवसर पर धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि भारत सऊदी तेल और एलपीजी का सबसे बड़ा बाजार है। उन्होंने कहा भारत में सऊदी आर्मको कार्यालय का उद्घाटन करते हुए उन्हे बेहत खुशी महसूस हो रही है। 
   यह हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में द्वि-पक्षीय खरीदार-आपूर्तिकर्ता संबंधो की सामरिक साझेदारी को मजबूती प्रदान करने में मदद करेगा। एआरएमएमओ इंडिया ने निकट भविष्य में इंजीनियरिंग सेवाओं, आईटी आपरेशन और सुरक्षा और आर एंड डी सेंटर सहित हाइड्रोकार्बन सेक्टर सेवाओं के कार्यों को शुरू करने के लिए अपने ऑपरेशन का विस्तार करने की योजना बनाई है। 
   सऊदी आर्मको भारतीय कंपनियों के साथ भागीदारी करने का इरादा रखता है। भारत में मेक इन इंडिया गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भारत में हाइड्रोकार्बन मूल्य श्रृंखला में एकीकृत व्यवसाय उद्यम स्थापित करना चाहता है।
   सऊदी अरब इराक के बाद भारत के लिए कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। देश में 19 प्रतिशत कच्चा तेल और 29 प्रतिशत एलपीजी आयात सऊदी अरब से होता है। वर्ष 2016-17 के दौरान भारत ने सऊदी अरब से 39.5 एमएमटी कच्चे तेल का आयात किया।

Friday 6 October 2017

भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच विज्ञान एवं तकनीकी सहयोग के 20 वर्ष

     दक्षिण अफ्रीका। केन्‍द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्‍वी विज्ञान और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की अगुवाई में भारतीय प्रतिनिधिमंडल दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर है। 

   भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच विज्ञान एवं तकनीकी सहयोग के 20 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह में यह प्रतिनिधिमंडल भाग लेगा। भारतीय प्रतिनिधिमंडल के दक्षिण अफ्रीका दौरे का उद्देश्‍य दोनों देशों के बीच विज्ञान संबंधी सहयोग को और सुदृढ़ करना तथा अंतरिक्ष शोध से लेकर जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग के अवसर तलाशना है।
   प्रतिनिधिमंडल इस दौरान दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करेगा। बैठक के दौरान ये वैज्ञानिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ विभिन्‍न विषयों पर अपने गहन अनुभवों एवं अंतर्दृष्टि को साझा करेंगे। मंत्री ने स्क्वायर किलोमीटर एरे (एसकेए) का दौरा किया, जो एक विशाल मल्‍टी रेडियो टेलीस्‍कोप परियोजना है। 
      जिसका विकास ऑस्‍ट्रेलिया, न्‍यूजीलैंड तथा दक्षिण अफ्रीका में हो रहा है। इसमें रेडियो खगोल विज्ञान का उपयोग किया जा रहा है और इसके तहत न्‍यूनतम 3000 किलोमीटर की दूरी पर रिसीविंग स्‍टेशन स्‍थापित किये जा रहे हैं। इस परियोजना से खगोल भौतिकी के सबसे दिलचस्प वैज्ञानिक रहस्‍यों का पता लग पाएगा। 
       इसमें प्रारंभिक ब्रह्मांड की विशेषताओं से लेकर बुद्धिमान परग्रही जीवन की तलाश करने जैसे रहस्‍य इसमें शामिल हैं। ‘एसकेए’ एक वैश्विक परियोजना है, जिससे 12 सदस्‍य देश जुड़े हुए हैं। 
   भारत भी एक सदस्‍य देश है। भारत स्थित राष्‍ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केन्‍द्र इसमें हितधारक है, जो भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग से सम्‍बद्ध है।
      भारत ‘एसकेए’ के अनेक डिजाइन कार्य संबंधी पैकेजों में संलग्‍न है, जिसमें केन्‍द्रीय सिग्‍नल प्रोसेसिंग और टेलीस्‍कोप मैनेजर सिस्‍टम प्रमुख है। यह एसकेए वेधशाला के कामकाज के अंतर्गत तंत्रिका केंद्र के रूप में कार्य करेगा।

Thursday 5 October 2017

इथोपिया में भारतीय समुदाय की देखभाल के लिए सरकार प्रतिबद्ध

    इथोपिया। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इथोपिया में भारत के राजदूत अनुराग श्रीवास्तव द्वारा आयोजित भारतीय समुदाय स्वागत समारोह को संबोधित किया।

  राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि इथोपिया में भारतीय समुदाय भारत-इथोपिया संबंधों का केंद्र बिन्दु रहा है। इन्होंने अध्यापक एवं शिक्षाविद् के तौर पर मेजबान देश के राष्ट्रीय निर्माण में सहयोग दिया है। उद्यमी के तौर पर आर्थिक सुअवसरों को उत्पन्न किया है और स्थानीय लोगों को कौशल प्रदान किया है। तकनीकी विशेषज्ञ एवं कर्मचारी के तौर पर इथोपिया के उद्योग की महत्ता को बढ़ावा दिया है।
     भारतीय समुदाय ने इथोपिया के समाज में अपने लिए सम्मान कड़ी मेहनत और समर्पण से प्राप्त किया है। भारतीय समुदाय ने भारतीय मूल्यों, पारिवारिक परम्परा और नैतिक कार्यों को संभाल कर रखा है एवं आगे बढ़ाया है। 
        राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि इथोपिया भी भारत की तरह विविधताओं से भरा देश है और विभिन्न भाषाओं और पाक कलाओं, संगीत, नृत्य एवं नाटय कलाओं की भूमि है। भारतीय समुदाय को स्थानीय ग्रहणशील संस्कृति का लाभ लेना चाहिए और अपनी संस्कृति को साझा एवं इसका प्रदर्शन करना चाहिए। 
    राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और इथोपिया दोनों के पास विशाल युवा जनसंख्या है। युवा भविष्य हैं और नये विचारों का आयुर्भाव उन्हीं पर निर्भर करता है। उन्होंने भारतीय समुदाय को इथोपिया के युवाओं से जुड़ने के लिए विशेष प्रयास करने की सलाह दी। 
     उन्होंने कहा कि बेहतर विश्व निर्माण के लिए, चाहे वह जलवायु परिवर्तन से निपटने या लोगों को कौशल प्रदान करने में, उनके विचार समाधान का काम करेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार प्रवासी समुदाय के साथ दीर्घकालिक एवं सक्रिय संपर्क जारी रखना चाहती है। इस संपर्क का मुख्य उद्देश्य भारत में हो रहे परिवर्तनकारी बदलाव के साथ, समुदाय के साथ परिचित होना भी है। 
      प्रवासियों के साथ संवाद भी संभावनाओं को आकार देना और मंच प्रदान करने के उद्देश्य से है, जिससे यह भारत की प्रगति और विकास में प्रतिभागिता कर सकें। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार विदेशी भारतीय समुदाय के हितों का ध्यान रखती है और इनके साथ खड़े रहने का दायित्व को निभाती है। 
     उन्होंने वर्ष 2015 में यमन में ऑपरेशन राहत के दौरान भारतीय नागरिकों को यमन और लीबिया से सुरक्षित निकालने और हाल ही में संयुक्त राज्य अमरीका के कुछ हिस्सों में बाढ़ के दौरान परिवारों को सहायता के प्रयासों का उल्लेख किया। 
    अदीस अबाबा में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय इथोपियन समुदाय के लगभग 500 सदस्यों ने भाग लिया। भारतीय समुदाय इस पूरे देश में फैला हुआ है और इनकी संख्या लगभग 5000 है। राष्ट्रपति कोविंद का इथोपिया दौरा आज भी जारी रहेगा।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जिबूती पहुंचने पर स्वागत

    अफ्रीका। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का उनके अफ्रीका के दौरे के दूसरे दिन जिबूती के राष्ट्रपति पैलेस में औपचारिक स्वागत किया गया।

    उन्होंने जिबूती गणराज्य के राष्ट्रपति इस्माइल उमर गुलेह के साथ सलामी गारद का निरीक्षण किया। राष्ट्रपति की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत का आयोजन भी किया गया। 
      दोनों राष्ट्रपतियों की उपस्थिति में विदेशी कार्यालय स्तर पर भारत और जिबूती के बीच नियमित राजनीतिक सलाह स्थापित करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। 
     जिबूती का दौरा करने वाले प्रथम भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बातचीत के दौरान परिस्थितियों और विषयों जैसे आतंकवाद, नवीकरणीय ऊर्जा और विशेषतः अंतर्राष्ट्रीय सौर संधि की सदस्यता के लिए जिबूती का सहयोग, भारतीय महाद्वीप क्षेत्र में समुद्री सहयोग और जिबूती के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए भारत द्वारा सहयोग निर्माण क्षमता और तकनीकी का विशेष उल्लेख किया। 
     राष्ट्रपति कोविंद ने भारत द्वारा 2015 में संघर्षरत यमन में वहां के नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए ऑपरेशन राहत के दौरान जिबूती के सहयोग के लिए राष्ट्रपति गुलेह का विशेष तौर पर धन्यवाद किया। इसके बाद राष्ट्रपति कोविंद ने जिबूती गणराज्य के राष्ट्रपति की मेजबानी में दोपहर के राजभोज में हिस्सा लिया। 
      इसके बाद, दो देशों के अफ्रीका दौरे के दूसरे चरण में राष्ट्रपति कोविंद इथोपिया की राजधानी अदीस अबाबा के लिए रवाना हुए। अदीस अबाबा में बोले अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इथोपिया संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के राष्ट्रपति डॉ. मुलातू तिशोम की विशेष उपस्थिति में राष्ट्रपति कोविंद का स्वागत किया गया। 
     इसके बाद राष्ट्रपति को सलामी गारद प्रदान किया गया और उन्होंने इथोपिया के सांस्कृतिक संगीत कार्यक्रम का आनंद भी लिया। राष्ट्रपति कोविंद पिछले 45 वर्षों में इथोपिया का दौरा करने वाले भारत के पहले और अब तक इथोपिया का दौरा करने वाले तीसरे भारतीय राष्ट्रपति हैं।
      इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति वी.वी. गिरी ने वर्ष 1972 और राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन ने वर्ष 1965 में इथोपिया का दौरा किया था। राष्ट्रपति अदीस अबाबा में भारतीय समुदाय के स्वागत समारोह को संबोधित करेंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का इथोपिया दौरा 5 अक्टूबर, 2017 को भी जारी रहेगा।

Thursday 28 September 2017

अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी डॉ. अब्दुल्ला ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की

      नई दिल्ली। अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी डॉ. अब्दुल्ला का भारत में स्वागत करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत उन्हें एक नजदीकी दोस्त समझता है।

    हम अफगानिस्तान के कठिन परिस्थितियों में आपके द्वारा दी गई नि:स्वार्थ सरकार की प्रशंसा करते हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत अफगानिस्तान को मात्र एक रणनीतिक साझेदार ही नहीं बल्कि एक ऐसा देश समझता है, जो हमारे हृदय के करीब है। 
        लोगों के आपसी संबंधों के जरिए भारत-अफगानिस्तान संबंध बेहद मजबूत हुए हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी, ‘काबुलीवाला’ की प्रतिध्वनि प्रत्येक भारतीय के हृदय में सुनी जा सकती है। प्रत्येक भारतीय काबुल से आए किसी भी व्यक्ति पर पूरा भरोसा करता है। 
     राष्ट्रपति ने कहा कि इसी महीने भारत और अफगानिस्तान के मध्य एक विकास आधारित साझेदारी की घोषणा हुई है। दोनों ही पक्ष अफगानिस्तान के साजाजिक व आर्थिक विकास की परियोजनाओं में सहयोग कर रहे हैं। भारत अफगानिस्तान को हर संभव मदद जारी रखेगा। 
     राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अफगान नेशनल डिफेंस और सिक्युरिटी फोर्सेज द्वारा आतंक के खिलाफ लड़ाई में उनके बलिदान के प्रति गहरा सम्मान रखता है। हम अफगानिस्तान में भारतीयों की सुरक्षा के लिए आपके ऋणी हैं। इसमें कोई संशय नहीं है कि अफगानिस्तान के लोग लंबे समय से पीड़ित रहे हैं। 
      आतंक के कारण पीढियां बर्बाद हो गई हैं। हम शांति के प्रति उनकी इच्छा से सहानुभूति रखते हैं। अफगानिस्तान के लोग शांति, स्थायित्व और समृद्धि चाहते हैं। हम उनके साथ खड़े हैं।

Tuesday 26 September 2017

इंडोनेशिया भारत में व्यापार व निवेश बढाने पर सहमत

   नई दिल्ली। भारत और इंडोनेशिया के बीच दूसरी द्विवार्षिक व्यापार मंत्री स्तरीय बैठक नई दिल्ली में संपन्न हुई। बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु और इंडोनेशिया का प्रतिनिधित्व व्यापार मंत्री इनगारिस्तो लुतिका ने किया। 

     बैठक में दोनो पक्ष व्यापार से जुडे मुद्दो, व्यापार सुगम करने और निवेश बढाने के लिए व्यापार और निवेश और व्यापार सुविधा और समाधान पर कार्यकारी दल की बैठक शीघ्र बुलाने पर सहमत हुए। ये कार्यकारी दल सेवाओ को सुगमता से लागू करने और दोनो देशो के बीच समान रूचि के विषयो जैसे मुद्दो पर भी विचार-विमर्श करेंगे। प्रभु और लुतिका फार्मा और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े मुद्दो का समाधान करने के लिए नियामको की बैठक बुलाने पर भी सहमत हुए।
      बैठक के दौरान वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने बाजार तक पहुंच, फार्मा, स्वास्थ्य, दुग्ध उत्पाद और पशु मांस से जुडी नियामक बाधाओ जैसे मुद्दो को उठाया। इंडोनेशिया ने विचार विमर्श के बाद दुग्ध उत्पादो के पंजीकरण, वनस्पति पर आधारित ताजा खाद्य पदार्थ और मांस प्रसंस्करण सुविधाओ पर निगरानी दौरे पर सहमति व्यक्त की। 
      इसके साथ ही भारत में निर्मित स्वचालित और वाहन के उपकरणो के लिए बाजार तक पहुंच के साथ-साथ संयुक्त उपक्रम, वस्त्र उद्योग उपकरणो, वस्त्र पार्क और विशेष आर्थिक क्षेत्र में अधिक निवेश के अवसरो पर भी बातचीत हुई। दोनो मंत्री आर्थिक सहयोग और दिवपक्षीय भागीदारी को मजबूत करने के लिए सरकारी व्यापार और उद्यमियो आदि अंशधारको के बीच अधिक सहयोग बढाने पर सहमत हुए। 
     बैठक में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने इंडोनेशिया से भारत में निर्माण, भारत में निवेश और स्टार्ट अप इंडिया जैसी योजनाओ से मिले अवसरो का लाभ उठाने का अनुरोध किया।

Thursday 21 September 2017

म्‍यांमार नौसेना के कमांडर-इन-चीफ एडमिरल तिन आंग सैन भारत में

     नई दिल्ली। म्‍यांमार नौसेना के कमांडर-इन-चीफ एडमिरल तिन आंग सैन वर्तमान समय में भारत के दौरे पर हैं।

    इस यात्रा का उद्देश्‍य भारत और म्‍यांमार के बीच द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को सुदृढ़ एवं व्‍यापक बनाना है। एडमिरल ने नई दिल्ली में अपने आगमन से पहले ही तय किये जा चुके कार्यक्रम के तहत मुंबई और कोच्चि स्थित विभिन्‍न नौसेना प्रतिष्‍ठानों का दौरा किया। श्री सैन नई दिल्‍ली में नौसेना प्रमुख, थल सेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख से भेंट करेंगे। 
       एडमिरल इसके अलावा नई दिल्‍ली में रक्षा मंत्रालय के विभिन्‍न गणमान्‍य व्‍यक्ति से विचार-विमर्श करेंगे। भारत और म्‍यांमार के बीच नौसेना क्षेत्र में सहयोग पारंपरिक रूप से काफी सुदृढ़ रह है जिनमें समन्‍वित मौखिक अभिव्यक्ति के जरिए परिचालनात्‍मक परिचर्चाएं, प्रशिक्षण, पोर्ट कॉल, क्षमता निर्माण के साथ मार्ग संबंधी अ‍भ्‍यास और क्षमता वृद्धि पहल शामिल हैं। 
     प्रधानमंत्री द्वारा सितम्‍बर 2017 के आरंभ में की गई म्‍यांमार यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच नौवहन सहयोग के क्षेत्र में तीन सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किये गये थे। इसी तरह अगस्‍त 2017 में म्‍यांमार रक्षा बलों के कमांडर इन चीफ की हालिया यात्रा के कुछ ही समय बाद एडमिरल का यह दौरा हुआ है। यह यात्रा दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच बढ़ते सहयोग को दर्शाती है।

Tuesday 19 September 2017

सिंगापुर पूर्वोत्तर भारत में कौशल विकास केन्‍द्र का निर्माण करेगा

     नई दिल्ली। सिंगापुर सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए गुवाहाटी में कौशल विकास केन्‍द्र का निर्माण करेगा। पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन तथा अंतरिक्ष व परमाणु ऊर्जा मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने सिंगापुर के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद यह जानकारी दी। 

    प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्‍व सिंगापुर के उच्‍चायुक्‍त लिम थूअन कुअन कर रहे थे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय, अंतरिक्ष विभाग तथा कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे जिसका नेतृत्‍व डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने किया। 
    सिंगापुर के प्रतिनिधिमंडल ने उक्‍त तीनों क्षेत्रों में सहयोग की इच्‍छा जताई। गुवाहाटी में कौशल विकास केन्‍द्र की स्‍थापना को लेकर सिंगापुर और असम की सरकार के बीच समझौता ज्ञापन पहले ही तैयार किया जा चुका है। कौशल विकास केन्‍द्र का निर्माण कार्य 2019 तक पूरे होने की संभावना है। 
     पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय इस पहल का संयोजन करेगा। सिंगापुर के प्रतिनिधिमंडल ने अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में सहयोग की अपनी इच्‍छा जताई। सिंगापुर ने बाह्य अंतरिक्ष के शान्तिपूर्ण उपयोग की अपनी इच्‍छा जताई।
    इस संबंध में डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि इस मामले को उचित तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा। सिंगापुर प्रतिनिधिमंडल कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन के क्षेत्र में भारत के अनुभव और विशेषज्ञता की साझेदारी चाहता है ताकि वह अपने देश में लोक प्रशासन के क्षेत्र में मूल्‍यवर्धन कर सके।
     डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि लाल बहादुर शास्‍त्री राष्‍ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) और सिंगापुर के बीच पहले से ही एक समझौता है जिसके तहत प्रशासनिक अधिकारी/आईएएस अधिकारी सिंगापुर की यात्रा करते हैं।
      डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि भारत और सिंगापुर एक-दूसरे के प्रति डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत और सिंगापुर हमेशा एक-दूसरे के प्रति अनुकूल रवैया रखते हैं। डॉ. सिंह ने सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री की यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उन्‍होंने नीति आयोग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बहुत प्रभावशाली व्‍याख्‍यान दिया था।

Tuesday 12 September 2017

अफगानिस्‍तान के विदेश मंत्री सलाहुद्दीन रब्‍बानी ने प्रधानमंत्री से की मुलाकात

      नई दिल्‍ली। अफगानिस्‍तान के विदेश मंत्री सलाहुद्दीन रब्‍बानी ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अफगानिस्‍तान के साथ अपने संबंधों को सर्वोच्‍च प्राथमिकता देता है।

   प्रधानमंत्री ने अफगानिस्‍तान और वहां के लोगों पर थोपे गए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अफगानिस्‍तान को अपने समर्थन को दोहराया। उन्‍होंने अफगानिस्‍तान सरकार और वहां के लोगों को शांतिपूर्ण, संयुक्‍त, लोकतांत्रिक एवं समृद्ध राष्‍ट्र के निर्माण में उनके प्रयासों के प्रति भारत का पूर्ण समर्पण एवं मानवीय आधार पर विकास के लिए सहायता प्रदान करने की अपनी वचनबद्धता को दोहराया।
      विदेश मंत्री रब्‍बानी ने अफग़ान की स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराया। दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि अफग़ान शांति प्रक्रिया में अफग़ान के नेतृत्‍व, अफग़ान पोषित और अफग़ान द्वारा नियंत्रित होनी चाहिए। विदेश मंत्री रब्‍बानी भारत-अफगानिस्‍तान रणनीतिक सहयोग परिषद की दूसरी बैठक की भारत की विदेश मंत्री के साथ सह-अध्‍यक्षता करने के लिए इस समय भारत की यात्रा पर है।

Monday 11 September 2017

श्रीलंका के विदेशमंत्री तिलक मारापना ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की

      नई दिल्ली। श्रीलंका के विदेश मामलों के मंत्री तिलक मारापना ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से दोपहर एक शिष्टाचार मुलाकात की।

       विदेशमंत्री तिलक मारापना भारत की तीन दिवसीय द्विपक्षीय यात्रा पर हैं। प्रधानमंत्री ने तिलक मारापाना को श्रीलंका के विदेश मंत्री के रूप में नई जिम्मेदारी को संभालने पर बधाई दी। 
     प्रधानमंत्री ने इस साल मई में अंतरराष्ट्रीय वैशाख दिवस के अवसर पर अपनी श्रीलंका की उपयोगी यात्रा का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों के व्यापक महत्व की बात दुहरायी। दोनों देशों के बीच गहरे और व्यापक-स्तर के संबंध हैं।
       प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय सहयोग को अधिक मजबूत और विस्तृत करने के लिए वे श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ लगातार काम करने के लिए आशान्वित हैं।

Wednesday 30 August 2017

भारत व कनाडा के बीच संयुक्‍त डाक टिकट

      प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारत:कनाडा दीवाली विषय पर दो स्‍मारक डाक टिकटों का एक सैट संयुक्‍त रूप से जारी किए जाने के लिए पारस्‍परिक सहमति से अवगत कराया गया। 

     यह संयुक्‍त डाक टिकट 21 सितम्‍बर 2017 को जारी की जाएगी। इस संयुक्‍त निर्गम के लिए डाक विभाग व कनाडा पोस्‍ट के बीच एक सहमति-ज्ञापन (एमओयू) पर पहले ही हस्‍ताक्षर किए जा चुके हैं। 
    साझा मूल्‍यों यथा लोकतंत्र, बहुलवाद, सभी के लिए समानता और कानून के राज पर आधारित भारत और कनाडा के संबंध लम्‍बे समय से रहे हैं। 
   व्‍यक्ति से व्‍यक्ति मजबूत सम्‍पर्क तथा कनाडा में व्‍यापक भरतीय जन-मानस की उपस्थिति इन संबंधों को मजबूत आधार प्रदान करता है। इस संयुक्‍त डाक-टिकट के लिए दीवाली पर्व का चयन दोनों देशों के सांस्‍कृतिक परिवेश का द्योतक होने के साथ-साथ कनाडा में भारतीय जन मानस का व्‍यापक उपस्थिति का भी परिचायक है।

Thursday 24 August 2017

एससीओ देशों में प्राकृतिक आपदाओं से 3,00,000 लोगों की मृत्‍यु

      आपात स्थिति की रोकथाम और समाप्ति पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) देशों के सरकारों के प्रमुखों की 9वीं बैठक में किर्गिज गणराज्‍य के चोलपोन-एटा में भारत की ओर से गृहमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा वक्‍तव्‍य दिया गया।

     भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘भारत इस 9वीं बैठक के इस शानदार आयोजन के लिए किर्गिज गणराज्‍य के राष्‍ट्रपति अलमाजबेक एतामबयेव और मंत्री बोरोनोव को हार्दिक धन्‍यवाद देता है। मुझे बताया गया है कि कल विशेषज्ञों के समूहों की बैठक दोस्‍ताना माहौल में आपातस्थिति की रोकथाम और समाप्ति के लिए व्‍यापक कार्यक्रम विकसित करने के उद्देश्‍य से हुई।
       शंघाई सहयोग संगठन के नये सदस्‍यों के रूप में हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि इस बैठक के लिए सहयोग के क्षेत्रों की पहचान समय से और उचित रूप में की गई है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वर्ष 1996 से 2015 की अवधि में एससीओ देशों में प्राकृतिक आपदाओं से 3,00,000 लोगों की मृत्‍यु हुई। आर्थिक रूप से भी भारी नुकसान हुआ। 
     हम प्राकृतिक और मानव निर्मित जोखिमों से घिरे हुए है। भूकंप, बाढ़, तूफान, चट्टानें खिसकने और महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बड़े पैमानों पर लोगों की मृत्‍यु होती है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए जल और मौसम संबंधी जोखिम बढ़ने की संभावना है। यदि हम अपने समुदाय, अपनी पूंजी और अपनी आर्थिक गतिविधियों को मजबूत नहीं बनाते, तो आपदाओं से होने वाला नुकसान बढ़ता रहेगा। अपनी आर्थिक वृद्धि और अपना सतत मानव विकास सुनिश्चित करने के लिए एससीओ देशों के लिए जोखिम कम करना महत्‍वपूर्ण है। 
        गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आपस में जुड़ी दुनिया में जोखिम में कमी महज आर्थिक गतिविधि नहीं है। विश्‍व के एक हिस्‍से में हुई कार्रवाई का असर विश्‍व के दूसरे हिस्‍सों पर भी पड़ता है। दो भौगोलिक क्षेत्रों में आपदाओं का कोई सीधा सम्‍पर्क नहीं है फिर भी आपदा की रोकथाम की चुनौती विश्‍व में सबके लिए समान है। इसलिए हमें निरंतर रूप से एक-दूसरे से सीखना चाहिए, नवाचार को प्रोत्‍साहित करना चाहिए ताकि हम अपने लिए और आने वाली पीढि़यों के लिए सुरक्षित विश्‍व का निर्माण कर सकें।
       गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मानवता का लगभग 40 प्रतिशत हिस्‍सा हमारे देश में रहता है। हम तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था हैं। यदि हम आपदाओं तथा आपात स्थितियों को रोकने और उनके प्रभावों को कम करने में सफल होंगे, तो पूरी दुनिया को इससे लाभ होगा। जब तक शंघाई सहयोग संगठन के देश आपदा जोखिम कम करने के लक्ष्‍य को प्राप्‍त नहीं करते, तब तक सेंडई रूपरेखा में शामिल लक्ष्य और सतत विकास के लक्ष्‍यों को 2030 तक हासिल नहीं किया जा सकता। 
       इसलिए हम सभी के लिए इस क्षेत्र में अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग महत्‍वपूर्ण है। हम भारत में मृत्‍यु और नुकसान को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। हम आपदाओं से होने वाली मृत्‍यु की प्रवृत्ति का विश्‍लेषण कर रहे हैं और सटीक कदम उठा रहे हैं। हम फैलीन और हुदहुद जैसे दो बड़े तूफानों से कारगर तरीके से सामना करने में सफल रहे है। यह सफलता दशकों की नीतिगत पहल, पूर्व चेतावनी क्षमता में वृद्धि, अग्रिम रूप से तैयारी, प्रशिक्षण और क्षमता विकास के कारण मिली है। 
       इन दो आपदाओं में मरने वालों की संख्‍या घटकर 45 रही, जबकि1999 में ओडिशा में आये तूफान से 10,000 लोग मरे थे। दूसरे शब्‍दों में एक दशक से थोड़ा अधिक समय में हम मृत्‍यु दर को एक प्रतिशत से भी नीचे करने में सफल रहे हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि तूफान संबंधी मृत्‍यु में कमी लाने के अतिरिक्‍त हमने अत्‍यधिक तापमान के कारण होने वाली मृत्‍यु को कम करने के लिए आवश्‍यक कदम उठाया। सभी लोगों-मौसम वैज्ञानिकों, आपदा प्रबंधकों, सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों, स्‍थानीय निकायों, निर्माणस्‍थल के प्रबंधकों, जल तथा बिजली सप्‍लाई करने वाले विभागों के साथ काम करके हमने गर्म हवाओं के बारे में चेतावनी व्‍यवस्‍थाओं में सुधार किया और यह व्‍यवस्‍था स्‍थानीय स्‍तर पर लागू की गई है। 
        इससे हमें गर्म हवाओं से मरने वाले लोगों की संख्‍या कम करने में मदद मिली है। गर्मी से 2015 में जहां 2000 लोगों की मृत्‍यु हो गई थी, वहीं 2017 में गर्म हवाओं से 250 लोग ही मरे। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भूकंप जैसी घटनाओं से मृत्‍यु जोखिम कम करना दीर्घकालिक प्रयास है, लेकिन हमने इस दिशा में शुरूआत कर दी है। सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए हमने राष्‍ट्रीय और स्‍थानीय स्‍तरों पर जोखिम दृढ़ता प्रबंधन में सुधार किया है। 2016 में लॉन्‍च की गई हमारी राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना में प्रणालीगत विषयों को शामिल किया गया है। 
     राष्‍ट्रीय योजना के अतिरिक्‍त हमारे सभी राज्‍यों और 90 प्रतिशत जिलों ने आपदा प्रबंधन योजना पूरी कर ली है। भारत मानता है कि शंघाई सहयोग संगठन के ढांचे के अंदर आपदा और आपात स्थितियों की रोकथाम पर सहयोग से हमारे घरेलू प्रयासों को बल मिलेगा। साथ-साथ भारत के उपयोगी कार्यों से एससीओ के सदस्‍य देश भी लाभांवित हो सकेंगे। सहयोग के सम्‍पूर्ण दायरे में मैं आपके विचार के लिए तीन विशेष विषयों का उल्‍लेख करना चाहूंगा। 
       गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पहला भूकंप संबंधी नुकसान को कम करने पर सहयोग है। पिछले 20 वर्षों में 2,00,000 लोग भूकंप से मरे हैं। दो तिहाई आपदा संबंधी मृत्‍यु शंघाई सहयोग संगठन देशों में होती है। भविष्‍य में नुकसान को कम करने के लिए ठोस सहयोग गतिविधियों को विकसित करना आवश्‍यक है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस संबंध में एक संयुक्‍त शहरी भूकंप खोज और बचाव अभ्‍यास हमारी सामूहिक तैयारी को सुधारने में मददगार साबित होगा। 
     संयुक्‍त अभ्‍यास से न केवल अंतर्राष्‍ट्रीय रूप से मान्‍य प्रक्रियाओं को समान रूप से समझने में मदद मिलेगी बल्कि इससे व्‍यक्तिगत परिचय और मित्रता भी होगी और यह आपदा प्रबंधन में सहायक साबित होता है। भारत 2019 में ऐसे संयुक्‍त अभ्‍यास की मेज़बानी का प्रस्‍ताव करता है। 
     गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इसके अतिरिक्‍त भूकंप को सहन करने वाले भवन निर्माण मॉडल भवन संहिता और परिपालन सुनिश्चित करने की मानक प्रक्रियाओं के बारे में ज्ञान और अनुभव के आदान-प्रदान करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की बैठक भी आयोजित की जा सकती है। इससे भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए मध्‍यम और दीर्घावधि के विषयों का समाधान निकाला जा सकता है। 
       गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दूसरा, आपदा सहन करने वाली संरचना तैयार करने के लिए हम क्षेत्रीय सहयोग कर सकते हैं। आने वाले दशकों में एससीओ देशों में अवसंरचना में निवेश सतत विकास के लिए प्रेरक होगा। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि अववसंरचना आपदा प्रभाव सहन करने में सक्षम हो।
       अंत में अत्यधित तापमान के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली के क्षेत्र में भी हमें आपस में सहयोग करने की जरूरत है। एसीओ देशों का जलवायु और मौसम की स्थिति अलग- अलग हो सकती है लेकिन आपदाओं का अनुमान और पूर्व चेतावनी जारी करना सबके लिए समान है। 
     गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम इसी संकल्प के साथ एससीओ ढांचे में काम करते रहेंगे। मैं 2019 में भारत में फोरम की अगली बैठक की मेजबानी का प्रस्ताव करता हूं।

भारतीय नौसेना बैण्ड रूस में होने वाले अंतरराष्ट्रीय सेना संगीत समारोह में भाग लेगा

          अंतरराष्ट्रीय सैन्य संगीत समारोह "स्पस्काया टॉवर" रूस और दुनिया के अन्य देशों के सर्वश्रेष्ठ म्यूजिक बैण्ड की ऐसी परेड है जो प्रतिवर्ष मॉस्को के लाल चौक में आयोजित की जाती है। 

     यह संगीत पर्व एक विशद आयोजन है जिसमें सैन्य संगीतकार विश्व के विभिन्न देशों की सैन्य, राष्ट्रीय और कला आधारित विविध परंपराओं का प्रदर्शन करते हैं।
     प्रति वर्ष करीब 40 देशों के 1500 से ज्यादा संगीतकार, सेनाओं से जुड़े लोग और कलाकार "स्पस्काया टॉवर" में अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। यह उचित ही है कि इस पर्व को रूस के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में से एक माना जाता है जिसे जन-सामान्य से शानदार समर्थन प्राप्त होता है। 
      इस वर्ष "स्पस्काया टॉवर" को 24 अगस्त से 03 सितंबर 2017 के बीच आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर भारतीय सेना के तीनों अंगों के सम्मिलित बैण्ड को इस प्रतिष्ठित आयोजन में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया गया है। 
      इस आयोजन में तीनों सेवाओं के सम्मिलित बैण्ड की भागीदारी से दोनों देशों के सैन्य बलों के संबंध तो बेहतर होंगे ही साथ ही यह भारतीय सेनाओं के बैण्ड की पेशेवर कुशलता का भी द्योतक है। तीनों सेनाओं के इस सम्मिलित बैण्ड में 07 अधिकारी और 55 पीबीओआर शामिल हैं।
      बैण्ड की नौसेना टुकड़ी के 01 अधिकारी और 09 संगीत नाविकों के दल का नेतृत्व पूर्वी नौसेना कमाण्ड के कमाण्ड म्यूजिशियन ऑफिसर कमाण्डर सतीश के चैंपियन कर रहे हैं। तीनों सेनाओं का यह सम्मिलित बैण्ड 23 अगस्त को नई दिल्ली से मॉस्को के लिये रवाना हुआ।

तस्‍करी की रोकथाम के लिए भारत और नेपाल के बीच समझौता

        प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नारकोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रोपिक पदार्थ और अग्रगामी रसायन एवं संबंधित मामलों में ड्रग की मांग घटाने एवं अवैध तस्‍करी की रोकथाम पर भारत और नेपाल के बीच समझौता को मंजूरी दी। 

     यह समझौता ज्ञापन दोनों देशों के बीच ड्रग मामलों पर सहयोग के क्षेत्रों को सूचीबद्ध करता है। साथ ही यह दोनों देशों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक ढांचा और सक्षम अधिकारियों को भी इंगित करता है जो इस एमओयू के कार्यान्‍वयन एवं किसी भी सूचना के आदान-प्रदान के लिए जिम्‍मेदार होंगे। 
    ड्रग मामलों में सहयोग से दोनों देशों के बीच नारकोटिक ड्रग्स, साइकोट्रोपिक पदार्थ और अग्रगामी रसायनों की अवैध तस्‍करी पर रोक लगने की उम्‍मीद है। इस एमओयू के तहत दोनों पक्षों को नि‍म्‍नलिखित प्रयास करने होंगे, नारकोटिक ड्रग्स, साइकोट्रोपिक पदार्थ और उनके अग्रगामी रसायनों में अवैध तस्‍करी के मुद्दे को प्रभावी तरीके से निपटाने के मद्देनजर आपसी सहयोग विकसित करना और रोकथाम, जागरूकता, शिक्षा एवं समुदाय आधारित कार्यक्रमों, उपचार एवं पुनर्वास के माध्‍यम से ड्रग की मांग घटाने में सहयोग करना। 
      नशीली दवाओं के मामलों में परिचालन, तकनीकी एवं सामान्‍य प्रकृति की सूचनाओं का आदान-प्रदान करना। साथ ही, मौजूदा कानूनों, नियमों, प्रक्रियाओं, सर्वोत्तम प्रथाओं और नारकोटिक ड्रग्स, साइकोट्रोपिक पदार्थ एवं उनके अग्रगामी रसायनों में अवैध तस्‍करी की रोकथाम के तरीकों एवं मौजूदा कानून में किसी भी संशोधन के दस्‍तावेजों का आदान-प्रदान करना।
      भारत ने मादक पदार्थों की तस्करी की रोकथाम के लिए वैश्विक प्रयासों का हमेशा समर्थन किया है। वह इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के नेतृत्‍व में चलाए गए कई द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय अभियानों में एक पार्टी रहा है। नारकोटिक ड्रग्स पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों की भावना के अनुसार पड़ोसी देशों एवं हमारे देश में नशीली दवाओं की स्थिति पर प्रत्‍यक्ष प्रभाव डालने वाले देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते/एमओयू करने की कोशिश की गई है। 
      कई देशों के साथ इस प्रकार के द्विपक्षीय समझौतों/एमओयू को पहले से ही अंजाम दिया गया है। नेपाल के साथ प्रस्तावित समझौता इसी तरह का एक अन्‍य समझौता है जो नशीली दवाओं के मामलों में द्विपक्षीय सहयोग के उद्देश्‍य से किया गया है।

Wednesday 23 August 2017

भारत-नेपाल सीमा पर मेची नदी पर एक नये पुल के निर्माण के लिए समझौता

     प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल ने भारत-नेपाल सीमा पर मेची नदी पर एक नये पुल का निर्माण शुरू करने के लिए लागत में साझेदारी, कार्यक्रम और सुरक्षा संबंधी मुद्दे पर कार्यान्‍वयन की व्‍यवस्‍था करने को लेकर भारत और नेपाल के बीच एक समझौता पर हस्‍ताक्षर किए जाने को अपनी मंजूरी दे दी है।

     इस पुल के निर्माण की अनु‍मानित लागत 158.65 करोड़ रुपये है, जिसे एशियाई विकास बैंक से प्राप्‍त ऋण द्वारा भारत सरकार की ओर से उपलब्‍ध कराया जाएगा। यह नया पुल काकरविट्टा (नेपाल) से पानीटंकी बाईपास (भारत) तक राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 327बी की 1500 मीटर लम्‍बाई के उन्‍नयन कार्य का हिस्‍सा है। जिसमें 825 मीटर लंबा छह लेन वाला सम्‍पर्क मार्ग शामिल है। मेची पुल भारत में एशियाई राजमार्ग 02 का अंतिम बिंदु है, जो नेपाल की ओर जाता है। नेपाल के साथ महत्‍वपूर्ण सम्‍पर्क कायम करता है।
      इस पुल के निर्माण से क्षेत्रीय सम्‍पर्क में सुधार होगा। दोनों देशों के बीच सीमा के आर-पार व्‍यापार में वृद्धि होगी। औद्योगिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान मजबूत होने से अच्‍छे संबंध कायम होंगे। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधीन राष्‍ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) को इस परियोजना के लिए एक कार्यान्‍वयन एजेंसी के रूप में निर्धारित किया गया है। 
      इस परियोजना के लिए विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई है। नेपाल सरकार के संपर्क से पुल के सामंजस्‍य को अंतिम रूप दिया गया है।

गृह मंत्री की किरगिज गणराज्य की यात्रा

     केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह 24-25 अगस्त, 2017 को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्यों राज्यों के सरकार के प्रमुखों की 9वीं बैठक में शामिल होने के लिए किरगीज जा रहे है।

      गृह मंत्री के साथ एक शिष्टमंडल भी जा रहा है। इस बैठक में आपात स्थितियों की रोकथाम और समाप्ति पर विचार किया जाएगा। भारतीय शिष्टमंडल में गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) तथा विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी हैं। भारत को एससीओ की पूर्ण सदस्यता इस वर्ष मिली और जून, 2017 में कजाखस्तान के अस्ताना में आयोजित शंघाई सहयोग संघठन की वार्षिक शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल हुए थे। एससीओ सदस्य के रूप में भारत की भागीदारी से एससीओ के ढांचे में अंतर्गत आबादी और भू-भाग की सुरक्षा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के विकास को गति देने का अवसर मिलेगा।
        इससे क्षेत्रीय और वैश्विक प्रारूप में गुणात्मक रूप से नई स्थिति बनेगी।शंघाई सहयोग संगठन के सरकारों के प्रमुखों की बैठक में आपात स्थितियों को समाप्त करने में सदस्यों देशों की सरकारों के बीच हुए समझौते को लागू करने के लिए 2018-19 की कार्य योजना के प्रारूप पर विचार किया जाएगा और इसको मंजूरी दी जाएगी। अपनी यात्रा के दौरान गृह मंत्री कुछ एससीओ सदस्यों देशों के मंत्रियों से द्विपक्षीय बैठक करेंगे।

Thursday 17 August 2017

विश्‍व बैंक के साथ 24.64 मिलियन डालर का वैश्विक पर्यावरण सुगमता अनुदान समझौता

       भारत ने पारिस्थितिक तंत्र सेवा सुधार परियोजना के लिए विश्‍व बैंक के साथ 24.64 मिलियन अमेरिकी डालर का वैश्विक पर्यावरण सुगमता अनुदान समझौता किया है। 

     भारत सरकार के वित्‍त मंत्रालय की ओर से आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्‍त सचिव समीर कुमार खरे और विश्‍व बैंक के भारत में कार्यकारी कंट्री डायरेक्‍टर हिशम एबदो काहिन ने इस समझौता पर हस्‍ताक्षर किये। भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) की ओर से अनुसंधान उप महानिदेशक डॉ. नीलू गेरा, मध्‍यप्रदेश सरकार की ओर से अपर प्रधान प्रमुख वन संरक्षक अमिताभ अग्निहोत्री, छत्‍तीसगढ़ सरकार की ओर से अपर प्रधान प्रमुख वन संरक्षक आर. बी. पी. सिन्‍हा ने विश्‍व बैंक के भारत में कार्यकारी कंट्री डायरेक्‍टर के साथ परियोजना समझौतों पर हस्‍ताक्षर किये।
     परियोजना 24.64 मिलियन अमेरिकी की डालर है। इसका वहन पूर्ण रूप से विश्‍व बैंक का वैश्विक पर्यावरण सुगमता (जीईएफ) ट्रस्‍ट फंड करेगा। परियोजना की अवधि 5 वर्ष है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) के माध्‍यम से हरित भारत के राष्‍ट्रीय मिशन के अंतर्गत मध्‍यप्रदेश और छत्‍तीसगढ़ में इस परियोजना का कार्यान्‍वयन करेगा।
       इस परियोजना का लक्ष्‍य वन विभागों और सामुदायिक संगठनों की संस्‍थागत क्षमता में मजबूती लाना, वन पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं को समृद्ध करना और मध्‍य भारत के उच्‍च क्षेत्रों में वनों पर निर्भर समुदायों की आजीविका में सुधार करना है।

Wednesday 16 August 2017

भारत व स्वीडन के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों का समझौता

        केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में भारत व स्वीडन के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन को मंजूरी दीप्र् समझौता में एक ऐसी व्यापक और सुगम व्यवस्था कायम करने का प्रावधान है जिसके जरिए दोनों देश बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए उत्कृष्ट पद्धतियों और प्रौद्योगिकी का आदान प्रदान करेंगे और साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में मिलकर काम करेंगे। 

      समझौता ज्ञापन भारत को बौद्धिक संपदा प्रणालियों में अनुभव का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाएगा, जिससे दोनों देशों के उद्यमियों, निवेशकों और व्यापारियों को महत्वपूर्ण लाभ पहुंचेगा। दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट पद्धतियों के आदान प्रदान से भारत के विविध प्रकार के बौद्धिक अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ेगी और उनका बेहतर संरक्षण किया जा सकेगा।
     ये अधिकार उतने ही विविध हैं जितनी विविधता भारत के लोगों में है। यह समझौता वैश्विक नवाचार के क्षेत्र में एक बड़ी शक्ति बनने की भारत की यात्रा में ऐतिहासिक सिद्ध होगा और राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति के लक्ष्यों को बढ़ावा देगा। समझौता के अंतर्गत एक संयुक्त समन्वय समिति बनाई जायेगी जो निम्नांकित क्षेत्रों में सहयोग गतिविधियों के बारे में निर्णय करेगी। दोनों देशों के लोगों, व्यापारियों और शैक्षिक संस्थानों के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में उत्कृष्ट पद्धतियों, अनुभवों और जानकारी का आदान प्रदान। 
      प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहयोग, विशेषज्ञों का आदान-प्रदान, तकनीकी आदान-प्रदान और संपर्क गतिविधियाँ, संयुक्‍त रूप से या किसी एक राष्‍ट्र द्वारा आयोजित कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्‍यम से उद्योगों, विश्‍वविद्यालयों, अनुसंधान और विकास संगठनों तथा लघु और मध्‍यम उद्यमों के बीच बौद्धिक संपदा के बारे में उत्कृष्ट पद्धतियों, अनुभवों और जानकारी का आदान-प्रदान। 
   पेटेंटों, ट्रेडमार्कों, औद्योगिक डिजाइनों, कापीराइटों और भौगोलिक संकेतकों और साथ ही बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण, प्रवर्तन और इस्‍तेमाल संबंधी आवेदनों के निपटान के लिए उत्कृष्ट पद्धतियों, अनुभवों और जानकारी का आदान-प्रदान। बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में आटोमेशन और आधुनिकीकरण परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन, नव प्रलेखन और सूचना प्रणालियों और बौद्धिक संपदा के प्रबंधन की प्रक्रियाओं के विकास में सहयोग, यह समझने में सहयोग करना कि परम्‍परागत ज्ञान का संरक्षण कैसे किया जाये; और डेटा बेस संबंधी परम्‍परागत जानकारी सहित उत्‍कृष्‍ट पद्धतियों का आदान-प्रदान।
      वर्तमान बौद्धिक संपदा प्रणालियां के बारे में जागरूकता बढ़ाना, डिजिटल वातावरण, विशेषकर कॉपीराईट मुद्दों में बौद्धिक संपदा कानून के उल्लंघनों के बारे में जानकारी और उत्‍कृष्‍ट पद्धतियों का आदान-प्रदान, अन्‍य सहयोगात्‍मक गतिविधियां, जो दोनों पक्षों द्वारा आपसी समझ-बूझ से तय की जा सकती है।

Tuesday 8 August 2017

मैक्सिको के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने राष्‍ट्रपति से मुलाकात की

        मैक्सिको कांग्रेस, चैंबर्स ऑफ डिप्टिज की अध्यक्षा सुश्री गौदालुपा मुरगुनिया गुतिर्रस के नेतृत्व में मैक्सिको से आये संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रेपति भवन में भारतीय राष्‍ट्रपति राम नाथ कोबिंद से मुलाकात की। 

       प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोबिंद ने कहा कि भारत और मैक्सिको महत्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक साझेदार हैं और गहरी लोकतांत्रिक परंपराओं को साझा करते हैं। उन्होंने मैक्सिको के संविधान अंगीकरण के 100 वर्ष पूरा होने पर प्रतिनिधिमंडल को बधाई दी। उन्होंने परमाणु आपूर्ति समूह में भारत की उम्मींदवारी का समर्थन करने के लिए मैक्सिको को धन्यवाद दिया।
        उन्होंने यह भी कहा कि सौर उर्जा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के आगे बढ़ने की गुंजाइश है। राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2016 में संपन्न हुई सफल मैक्सिको यात्रा का भी उल्ले्ख किया। उन्होंने आगे यह भी कहा कि भारत मैक्सिको के राष्ट्रैपति महामहिम इनरिक्यूभ पेना नियटो की भारत यात्रा के लिए आशावान है। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को सफल यात्रा की शुभकामनायें दी।

भारत-ईरान की चाबहार बंदरगाह में परिचालन जल्‍द शुरू करने की प्रतिबद्धता

         केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं शिपिंग मंत्री नितिन जयराम गडकरी दो दिवसीय ईरान यात्रा से वापस लौट आये हैं। उन्‍होंने ईरान के राष्‍ट्रपति डॉ. हसन रोहानी के शपथ समारोह में भारत सरकार का प्रतिनिधित्‍व किया। यह उनका दूसरा कार्यकाल है। 

       डॉ. हसन रोहानी के साथ वार्तालाप में गडकरी ने उनको भारतीय प्रधानमंत्री का शुभकामना और बधाई संदेश दिया। गडकरी ने उनको सफल कार्यकाल के लिए शुभकामनायें भी दी। उन्‍होंने ईरान के राष्‍ट्रपति को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बधाई पत्र भी सौंपा और ईरान के राष्‍ट्रपति को भारत यात्रा के लिए आमंत्रित किया। 
        गड़करी ने बाद में चाबहार बंदरगाह के विकास और चाबहार को जहेदन से रेल के जरिये जोड़ने की प्रस्‍तावित परियोजना में भारत के सहयोग समेत कई मुदृं पर चर्चा की। बैठक में दोनों पक्षों ने छबाहर बंदरगाह के विकास में हुई प्रगति समेत पिछले वर्ष भारतीय प्रधानमंत्री की ईरान यात्रा के दौरान लिए गए निर्णयों के कार्यान्‍वयन की प्रगति पर सकारात्‍मक माना। दोनों पक्षों ने चाबहार बंदरगाह के परिचालन को जल्‍द से जल्‍द पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
        गडकरी ने उप राष्‍ट्रपति डॉ. ई. जहांगिरी से मुलाकात कर चाबहार बंदरगाह के विकास के समझौते की कार्यशीलता के मुद्दे का उल्‍लेख किया। उन्‍हें बताया कि इंडिया पोर्ट ग्‍लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) ने रेल माउंटिड गंट्री क्रेन (आरएमजीसी) जैसे महत्‍वपूर्ण उपकरणों का प्रबंध कर लिया है। रबर टायर मोबाइल क्रेन (आरटीएमसी) एमटी कंटेनर हैंडलर्स (एमटीसीएच), ट्रक, ट्रेक्‍टर ट्रेलर कंटेनर एवं संबंधित उपकरणों के आर्डर को अंतिम रूप देने के करीब है। 
       उन्‍होंने यह भी बताया कि भारत समझौते के समय से पहले अंतरिम अवधि के मध्‍य चाबहार बंदरगाह के परिचालन के लिए सहायता प्रदान करने के लिए भी तैयार है। उन्‍होंने ईरानी पक्ष से अनुरोध किया कि वे चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए जल्‍द से जल्‍द एक्सिम बैंक ऑफ इंडिया को ऋण का आवेदन कर दें ताकि दोनों देशों के मध्‍य हुए समझौते को सक्रिय किया जा सके। 
      ईरान ने भारत से 15 करोड़ डालर के ऋण उपलब्‍ध कराने का अनुरोध किया था। चाबहार बंदरगाह समझौते के सक्रियता के लिए इसकी शर्त रखी थी। एक्सिम बैंक ऑफ इंडिया को अभी भी इस ऋण के आवेदन का इंतजार है। इसके पश्‍चात गडकरी ने ईरान के सड़क और शहरी विकास मंत्री डॉ. अब्‍बास अखोंदी से मुलाकात की।उन्‍हें चाबहार बंदरगाह समझौते के अंतर्गत आने वाले दो टर्मिनल के लिए बहूउदद्देशीय और कंटेनर उपकरणों के प्रबंधन और उपलब्‍धता के बारे में नवीनतम जानकारी दी। 
       उन्‍होंने डॉ. अब्‍बास अखोंदी से चाबहार बंदरगाह के सहायक परिचालन के हित में ईरानी पक्ष को ऋण आवेदन जमा होने की शर्त को हटाने का भी अनुरोध किया, क्‍योंकि इसमें काफी समय लग रहा है। ईरानी पक्ष ने आश्‍वासन दिया कि एक्सिम बैंक ऑफ इंडिया को जल्‍द ही ऋण का आवेदन किया जाएगा।

Sunday 6 August 2017

भारत को चाबहार बन्दरगाह पर 2018 में परिचालन की उम्मीद

       सड़क परिवहन व राजमार्ग एवं नौवहन मंत्री नितीन गडकरी ने कहा कि सरकार ईरान में चाबहार बन्दरगाह के विकास के लिए कृत संकल्प है। 

     आशा है कि 2018 में इस पर परिचालन आरम्भ हो जाएगा। नीतिन गडकरी तेहरान में राष्ट्रपति हसन रूहानी द्वारा दूसरी बार कार्यभार संभालने पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के तौर वहां गए है। ईरान दौरे की पूर्व संध्या पर मंत्री ने कहा कि भारत व ईरान के बीच प्रगाढ़ ऐतिहासिक संबंध है। नितिन गडकरी ने जानकारी दी कि चाबहार बन्दरगाह पर निर्माण कार्य पहले से आरम्भ हो गया है।
      भारत सरकार ने बन्दरगाह के विकास के लिए छः बिलियन रूपये आबंटित किये हैं। इनमे से उपकरणों के लिए 380 करोड़ रुपये धनराशि की निविदा को पहले से अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्होने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कार्य को शीघ्रता से पूरा करने के लिए ईरान सरकार आवश्यक अनुमोदनों को स्वीकृति प्रदान कर देगी। 
     गडकरी ने कहा कि चाबहार बन्दरगाह दोनों राष्ट्रों के सम्बन्धों एवं इस क्षेत्र में व्यापार एवं कारोबार को बढ़ावा देगा। चाहबहार बन्दरगाह दक्षिण पूर्वी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रान्त में स्थित है। यह बन्दरगाह भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बहुत उपयोगी है।
       पिछले साल मई में भारत और ईरान के बीच हुए सम्झौते के अनुसार भारत चाहबहार बन्दरगाह के पहले चरण के लिए दो बर्थ शुरू और उपकरणों से लैस करेगा। 10 वर्ष की लीज पर 85.21 मिलियन (अमरिकी डॉलर) का पूञ्जी निवेश किया जाएगा और वार्षिक राजस्व 22.95 मिलियन होगा।

Friday 4 August 2017

जनरल बिपिन रावत ने कज़ाखस्तान के सेना प्रमुख से मुलाकात की

         जनरल बिपिन रावत छह दिवसीय कज़ाखस्तान और तुर्कमेनिस्तान के दौरे पर हैं। उन्होंने कज़ाखस्तान के थलसेना प्रमुख से मुलाकात कर दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ाने संबंधी विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। 

      दोनों देश नवंबर 2017 में हिमाचल प्रदेश के बकलोह में संयुक्त सैन्य अभ्यास करने पर पारस्परिक रूप से सहमत हुए। जनरल रावत ने संयुक्त राष्ट्र शांति प्रक्रिया में कज़ाखस्तान की तैनाती को भारत की ओर समर्थन का वादा किया। 
      कज़ाखस्तान ने उग्रवाद विरोधी ऑपरेशन के क्षेत्र में क्षमता निर्माण, सेना शिक्षा और भारत में सैन्यकर्मियों के प्रशिक्षण के संबंध में सहायता की मांग की।
      भारतीय सेना प्रमुख ने उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने 36 एयर असॉल्ट ब्रिगेड दौरे के दौरान कज़ाख सेना के शानदार प्रदर्शन एवं पराक्रम की सराहना की। जनरल बिपिन रावत कल तुर्कमेनिस्तान के लिए रवाना होंगे।

Wednesday 2 August 2017

भारत-स्‍पेन में अक्षय ऊर्जा सहयोग

      प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल को अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत–स्‍पेन सहयोग पर भारत और स्‍पेन के बीच हुए सहमति पत्र (एमओयू) से अवगत कराया गया है।

    इस एमओयू पर स्‍पेन में 30 मई, 2017 को हस्‍ताक्षर किये गये थे। इस एमओयू से विशेषज्ञों के आदान-प्रदान और सूचनाओं की नेटवर्किंग के जरिए दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग बढाने में मदद मिलेगी। दोनों पक्षों ने सहकारी संस्‍थागत रिश्‍ते का एक समुचित आधार स्‍थापित करने का लक्ष्‍य रखा है, ताकि आपसी लाभ वाली समानता एवं पारस्‍परिकता के आधार पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित मसलों पर तकनीकी द्विपक्षीय सहयोग को प्रोत्‍साहित किया जा सके। 
      इस एमओयू के तहत एक संयुक्‍त कार्यकारी समिति के गठन की परिकल्‍पना की गई है, जो सहयोग के क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों की समीक्षा एवं निगरानी करने के साथ-साथ उन पर चर्चाएं भी करेगी।

ब्रिक्स देशों के व्यापार मंत्रियों की बैठक में ई-कामर्स सहयोग की पहल

       ब्रिक्स देशों के व्यापार मंत्रियों की सातवीं बैठक संघाई में 1-2 अगस्त को हुई। बैठक में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में 6 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल शामिल हुआ।

      इसमें विश्व व्यापार संगठन में जनसंपर्क अधिकारी और राजदूत जे एस दीपक भी शामिल थे। बैठक की अध्यक्षता चीन के वाणिज्य मंत्री ज़ोंग शन ने की। दक्षिण अफ्रीका के व्यापार और उद्योग मंत्री रोब डेविस, ब्राजील के उद्योग मंत्रालय में वाणिज्य एवं सेवा सचिव मारसेलो माइया टवेयर्स डी अराउजो और रूस के आर्थिक विकास मंत्री मैक्सिम ओरेश्किन भी अपने-अपने प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठक में शरीक हुए। 
        ब्रिक्स देशों के व्यापार मंत्रियों ने 2 अगस्त पूर्वाह्न चीन के उप-प्रधान मंत्री वांग यंग से औपचारिक मुलाकात की। बैठक से हटकर 1 अगस्त पूर्वाह्न चीन के वाणिज्य मंत्री और भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के बीच द्वीपक्षीय बैठक हुई। 
       बैठक के बाद ब्रिक्स देशों में सेवाओं में व्यापार पर सहयोग की रूपरेखा, ब्रिक्स ई-कामर्स सहयोग पहल, ब्रिक्स आईपीआर सहयोग दिशा-निर्देश, ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग को मजबूत करने का प्रारूप, ब्रिक्स मॉडल ई-पोर्ट नेटवर्क के संदर्भ की शर्तें, ब्रिक्स निवेश सुविधा की रूपरेखा दस्तावेज स्वीकार किए गए।

Friday 28 July 2017

भारत का ब्रिक्‍स में सामाजिक सुरक्षा सहयोग के संस्‍थानीकरण का समर्थन

      श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बंडारू दत्तात्रेय के नेतृत्व में भारतीय शिष्टमंडल ने चीन के चोंगगिंग में आयोजित ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया।

      चीन वर्ष 2017 के लिए ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक का अध्यक्ष है। भारतीय शिष्टमंडल में एम सत्यवती, सचिव (श्रम और रोजगार), मनीष गुप्‍ता, संयुक्‍त सचिव, अनुजा बापट, निदेशक और प्रो. शशिकुमार, वरिष्‍ठ फेलो, वीवीजीएनएलआई शामिल थे।
        बैठक का समापन चोंगगिंग, चीन में ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों द्वारा ब्रिक्‍स श्रम और रोजगार मंत्रिस्‍तरीय घोषणा पत्र को स्‍वीकार किए जाने के साथ हुआ। इस घोषणा पत्र में ब्रिक्‍स देशों के लिए महत्‍वपूर्ण विविध क्षेत्रों को कवर किया गया।
      साथ ही भारत द्वारा उचित संस्‍थानीकरण के माध्‍यम से इन क्षेत्रों में सहयोग और सहकारिता को सुदृढ़ता प्रदान करने का आह्वान किया गया। इन क्षेत्रों में कार्य के भविष्‍य के बारे में गवर्नेंस, ब्रिक्‍स में विकास के लिए कौशल, सार्वभौमिक और टिकाऊ सामाजिक सुरक्षा प्रणालियां, श्रम अनुसंधान संस्‍थानों का ब्रिक्‍स नेटवर्क, ब्रिक्‍स सामाजिक सुरक्षा सहयोग प्रारूप और ब्रिक्‍स उद्यमिता अनुसंधान शामिल हैं।
       इस अवसर पर बंडारू दत्‍तात्रेय ने कहा कि अंशकालिक कार्य, अस्‍थायी कार्य, निश्चित अवधि का अनुबंध और उपअनुबंध, घर से किया जाने वाला कार्य, आदि जैसे रोजगार के गैर-मानक स्‍वरूपों के उदय के मद्देनजर ब्रिक्‍स देशों को ‘कार्य के भविष्‍य’ की चुनौतियों से निपटने में सहयोग करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इस तरह के कार्य ब्रिक्‍स देशों में रोजगार बाजारों का स्‍वरूप बदल रहे हैं। 
      ब्रिक्‍स देशों के श्रम संस्‍थानों की नेटवर्किंग से सूचना के नियमित आदान-प्रदान और इस क्षेत्र में तथा अन्‍य साझा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाए जाने की व्‍यवस्‍था तैयार हो सकती है। श्रम और रोजगार मंत्री ने दोहराया कि भारत ने विश्‍व आपूर्ति श्रृंखला में हमेशा सीबीडीआर के सिद्धांतों का पालन किया है और उसे खुशी है कि ब्रिक्‍स देशों ने भी इसी नीतिगत दृष्टिकोण को दोहराया है। दत्‍तात्रेय ने कहा कि प्रभावी और पारदर्शी श्रम गवर्नेंस के ढांचे का निर्माण करने में प्रौद्योगिकी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 
        उन्‍होंने कहा कि भारत में सेवाओं को प्रभावी, समयबद्ध और कुशलता से प्रदान करने के लिए तथा वित्‍तीय समावेशन, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार सृजन और कौशल सहित सरल और पारदर्शी अनुपालन ढांचा तैयार करने के लिए आईसीटी का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। दत्‍तात्रेय ने जोर देकर कहा कि कौशल न केवल कामगारों की रोजगार की क्षमता में व़द्धि करता है, बल्कि नियोक्‍ताओं की उत्‍पादकता भी बढ़ाता है, जिससे देश में संवर्धित उत्‍पादन, संवर्धित राजस्‍व प्रवाह और संवर्धित जीडीपी का चक्र तैयार होता है। 
          भारत ने कौशल के जरिए गरीबी उन्‍मूलन और उसमें कमी लाने संबंधी ब्रिक्‍स की कार्ययोजना का अनुमोदन किया। इस कार्य योजना में अन्‍य बातों के अलावा, समग्र राष्‍ट्रीय योजना में गरीबों को शामिल करने की नीतिगत सिफारिशें शामिल हैं, ताकि व्‍यवसायिक प्रशिक्षण, बेहतर आजीवन व्‍यवसायिक प्रशिक्षण और शिक्षण प्रणालियां, अनुसंधान संबंधी पहल के लिए अच्‍छी गुणवत्‍ता वाली प्रशिक्षुता को बढ़ावा, सरकारों, क्षेत्रों और उद्यमों के बीच सहयोग मजबूत बनाना संभव हो सके तथा ऐसे गठबंधन बनाने के लिए ब्रिक्‍स राष्‍ट्रीय अनुसंधान संस्‍थानों के नेटवर्क का इस्‍तेमाल किया जा सके।
     भारत ने ब्रिक्‍स द्वारा व्‍यक्‍त की गई सामूहिक प्रतिबद्धताओं को आगे ले जाने के लिए चीन की सराहना की। भारत ने ब्रिक्‍स के लिए प्रस्‍तावित सामाजिक सुरक्षा सहयोग प्रारूप के संस्‍थानीकरण का समर्थन किया, क्‍योंकि इससे हमें सामाजिक सुरक्षा के सार्वभौमिकरण विशेषकर कार्य के मानक स्‍वरूपों के बारे में ब्रिक्‍स के अन्‍य सदस्‍य देशों द्वारा अपनाई जा रही रणनीतियों का पता चल सकेगा। 
       उन्‍होंने कहा कि श्रम बाजार सूचना में विषमता हम सभी के लिए बड़ी चुनौती है। उन्‍होंने कहा कि इस संदर्भ में राष्‍ट्रीय श्रम संस्‍थानों का नेटवर्क एकीकृत अनुसंधान और सूचना साझा करने के लिए महत्‍वपूर्ण संभावनाएं प्रस्‍तुत करता है। दत्‍तात्रेय ने कहा कि यह नेटवर्क उपयुक्‍त श्रम और रोजगार मामलों पर साझा दृ‍ष्टिकोण कायम करने में हमारी सहायता भी करेगा।
      उन्‍होंने कहा कि नवोन्‍मेष और उद्यमिता को प्रोत्‍साहन देना भारत के लिए महत्‍वपूर्ण प्राथमिकता है। भारत ने ब्रिक्‍स उद्यमिता पहल को मजबूती प्रदान करने के लिए ब्रिक्‍स के सदस्‍य देशों के साथ मिलकर कार्य करने की इच्‍छा प्रकट की। ब्रिक्‍स श्रम और रोजगार मंत्र‍िस्‍तरीय घोषणा पत्र अब चीन में होने वाले राष्‍ट्राध्‍यक्षों/शासनाध्‍यक्षों के शिखर सम्‍मेलन में प्रस्‍तुत किया जाएगा।

Thursday 20 July 2017

वैश्विक चुनौतियों से निपटने का एकमात्र साधन सामूहिक जिम्मेदारी

         केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रमुख सदस्‍य देशों के प्रतिनिधियों, महानिदेशक डब्‍ल्‍यूटीओ और अंकटाड के महासचिव के साथ परस्‍पर विचार विमर्श करने के लिए जिनेवा का दौरा किया। 

    विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक के साथ अपनी बैठक के दौरान वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने यह उल्‍लेख किया कि भारत डब्ल्यूटीओ के ग्यारहवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन ('एमसी 11') में किस प्रकार के परिणामों को देखना चाहता है। उन्होंने विशेष रूप से जोर दिया कि एमसी 11 के परिणामों में खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों (पीएसएच) के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के बारे में स्थायी समाधान शामिल होना चाहिए जिसके लिए एक मंत्रालयीय जनादेश है। 
        उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक से अनुरोध किया कि पीएसएच और कृषि विशेष सुरक्षा तंत्र के बारे में अंतिम रूप से निर्णय लेने के प्रयासों के लिए जोरदार कार्रवाई की जाए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया ई-कॉमर्स और निवेश सुविधा जैसे नए मुद्दों पर परिणाम प्राप्‍त करने के लिए किए जाने वाले प्रयास दोहा वार्ता के एजेंडे के लंबे समय से लंबित अन्‍य मुद्दों की कीमत पर नहीं किए जाने चाहिए।
          वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने बहुपक्षीय सुधार विषय पर अंतर्राष्ट्रीय और विकास अध्ययन के लिए ग्रेजुएट संस्थान को भी संबोधित किया। इस कार्यक्रम में 350 से अधिक राजनयिकों, विभिन्न अंतर-सरकारी संगठनों, वकीलों, शिक्षाविदों, छात्रों और मीडिया के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 
      वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के एक संस्थापक सदस्य के रूप में भारत का बहुपक्षवाद का कट्टर समर्थक होने का एक लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की स्थिति में अभी हाल में हुए परिवर्तनों ने आमतौर पर बहुपक्षीयवाद और विशेष रूप से बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को किस प्रकार प्रभावित किया है। 
            उन्होंने बहुपक्षीयवाद की भावना को पुन: मजबूत बनाने, विशेष रूप से प्रणालियों को मजबूती प्रदान करने संरक्षणवाद का मुकाबला करने और विकास को बढ़ावा देने के बारे में कई सुझाव दिए। व्यापार के लिए भारत के खुलेपन पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि वार्ता के लिए भारत का दृष्टिकोण गहरी और मजबूत प्रतिबद्धता पर आधारित है ताकि व्यापार वार्ता में विकास के मुद्दों का समाधान किया जा सके। 
           उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों से आग्रह किया कि वे समय के अनुरूप काम करें और बहुपक्षीय सुधार के लिए सामूहिक जिम्मेदारी लें क्‍योंकि व्यापार में वैश्विक चुनौतियों से निपटने का यही एकमात्र साधन है।
          वाणिज्य और उद्योग मंत्री के संबोधन को सबने ध्‍यान से सुना और उसके बाद दर्शकों के साथ जीवंत बातचीत हुई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने दक्षिण केंद्र का भी दौरा किया जो विकासशील देशों का एक अंतर-सरकारी संगठन है और वे अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अपने साझा हितों को बढ़ावा देने के प्रयासों और विशेषज्ञता को जोड़ने में मदद करता है। 
          उन्‍होंने दक्षिण केंद्र से विकासशील देशों के मध्‍य वार्ता के लिए सहयोग निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को जारी रखने का आग्रह किया ताकि वे विश्व व्यापार संगठन में अपने देय हितों से वंचित न हों। वार्ता में शामिल प्रतिभागियों में प्रमुख विकासशील सदस्य देशों के राजदूत भी शामिल थे। एम सी 11 के परिणामों में उनके दृष्टिकोणों लाभदायक विचारों का आदान-प्रदान हुआ। 
         श्रीमती सीतारमण ने विभिन्न विश्व व्यापार संगठन वार्ता के भविष्‍य एमसी 11 के संभावित परिणामों के बारे में चुनिंदा राजदूतों और विभिन्‍न विश्व व्यापार संगठन वार्ता समूह के अध्यक्षों के साथ मिलकर एक बैठक का भी आयोजन किया। 
         इस बैठक में प्रतिभागियों में विश्व व्यापार संगठन की वार्ताओं के विभिन्‍न पहलुओं पर अपने विचार और दृष्टिकोण साझा किए। बातचीत के दौरान साझा स्थिति और रूख की पहचान की गई। अपनी जिनेवा की उनकी यात्रा के दौरान श्रीमती सीतारमण ने अंकटाड के महासचिव और अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार केंद्र के कार्यकारी निदेशक के साथ भी बातचीत की। इन बैठकों के दौरान इन संस्‍थाओं की भारत के साथ और उसकी ओर से की जा रही गतिविधियों की सराहना की और गतिविधियों को और आगे बढ़ाने का सुझाव दिया।

Wednesday 19 July 2017

कनाडा का कोकिंग कोल निर्यात प्रतिवर्ष लगभग 30 मिलियन टन

       केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में इस्पात मंत्रालय और उसके सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने इस महीने के शुरू में कनाडा का दौरान किया। उन्‍होंने कनाडा सरकार के प्राकृतिक संसाधन मंत्री जेम्स कैर के साथ व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया। 

    चर्चा में भारत में इस्पात उद्योग की प्रगति, भारतीय इस्पात निर्माताओं के लिए कनाडा कोकिंग कोल का रणनीतिक महत्‍व, पर्यावरणीय अनुकूल खनन के क्षेत्र में सहयोग, कोयला परिष्‍करण और अनुसंधान एवं विकास आदि विषय शामिल रहें। भारत में स्टील बनाने की क्षमता में वृद्धि के साथ तालमेल स्‍थापित करने के लिए कनाडा से कोकिंग कोल का आयात बढ़ाने की जरूरत होगी। 
          यह उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के उत्पादन लक्ष्यों के अनुसार कोकिंग कोल की आवश्यकता जो वर्तमान में 60 मिलियन टन प्रतिवर्ष के स्‍तर पर है उसका बढ़कर 160 मिलियन टन प्रतिवर्ष तक होने का अनुमान है। हालांकि स्वदेशी कोकिंग कोल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए विभिन्‍न प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन आयातित कोकिंग कोल पर भारत की निर्भरता जारी रहेगी। ऐसे परिदृश्य में कोकिंग कोल आयात के स्रोत के लिए बहुविकल्प होने से मूल्‍यों में लाभ प्राप्‍त होंगे। 
          इस दौरे में कनाडा के इस्पात निर्माण संस्थान के (सीआईएससी) के प्रतिनिधियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श हुआ। यह एक विशिष्‍ट संस्थान है जो अपने आपको को इस्‍पात निर्माण उद्योग के लिए कनाडा की आवाज घोषित करता है। बीरेंद्र सिंह ने भारत में इसी तरह का संस्थान स्थापित करने की संभावनाओं का पता लगाने के उद्देश्य से इस संस्थान के कार्य और ढांचे में गहरी रूचि व्यक्त की। सीआईएससी उद्योग हितधारकों में वार्ता, सहयोग और वाणिज्य को बढ़ावा देता है और इस्‍पात के लाभ परामर्श समुदाय, निर्माताओं, खरीदारों, शिक्षाविदों और सरकार को प्रदान करता है।
        सीआईएससी इस्‍पात निर्माताओं, फैब्रिकेटर्स, कन्स्ट्रक्टरों, इंजीनियरों, वास्तुकारों, मालिकों, डेवलपर्स, शिक्षकों और छात्रों के विभिन्न समुदायों का प्रतिनिधित्व करता है और क्षमता तथा व्यवसाय को बढ़ाने के लिए अनेक उत्पाद और सेवाएं उपलब्‍ध कराता है। इस प्रतिनिधिमंडल ने आपसी हितों के मुद्दों पर बातचीत करने के लिए इस्‍पात से जुड़े विभिन्न कनाडाई संस्थानों और उद्योग प्रतिनिधियों के साथ टोरंटो में एक संयुक्त बैठक का आयोजन किया। 
         इस बैठक में कुशल खनन, लॉजिस्टिक प्रबंधन और भारतीय अर्थव्यवस्था की इस्पात तीव्रता को बढ़ाना, इस्पात निर्माण में अनुसंधान और विकास तथा निर्माण के लिए पसंदीदा सामग्री के रूप में इस्‍पात को बढ़ावा देने वाले विषय शामिल रहे। 
         इस सम्मेलन में संस्थान कनाडाई इस्पात प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, कनाडा की कोयला एसोसिएशन और कनाडा शीर्ष उद्योगों के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्‍या में भाग लिया। इससे पहले इस प्रतिनिधिमंडल ने ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में एक कोकिंग कोलमाइन का दौरा किया और इसके संचालन कार्य को देखा। 
        कनाडा प्रतिवर्ष लगभग 30 मिलियन टन कोकिंग कोल का निर्यात करता है जिसमें से भारतीय इस्पात कंपनियां लगभग तीन मिलियन टन कोकिंग कोल खरीदती हैं।

Tuesday 18 July 2017

संयुक्त राष्ट्र का अफ्रीकी भागीदारों के लिए शांति स्थापना पाठ्यक्रम

         संयुक्त राष्ट्र का शांति स्थापना केन्द्र (सीयूएनपीके), 17 जुलाई से 4 अगस्त 2017 तक नई दिल्ली में अमरीका के साथ संयुक्त रूप से अफ्रीकी भागीदारों के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना पाठ्यक्रम के दूसरे सत्र का आयोजन कर रहा है। 

       इस पाठ्यक्रम का उद्घाटन मानक शॉ केन्द्र, नई दिल्ली में हुआ। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता श्रीमती रूचि घनश्याम, सचिव (पश्चिम), विदेश मंत्रालय ने की। उन्होंने अधिकारियों का स्वागत किया और उपस्थित लोगों को संयुक्त राष्ट्र के प्रति भारत की प्रतिबधद्ता की जानकारी दी। इस अवसर पर प्रसिद्ध वक्ताओं में शामिल थे ले. जन., जे एस चीमा. उप सेना अध्यक्ष (आईएसएण्डटी), ले. जन. विजय सिंह, महानिदेशक स्टाफ डयूटी, चार्ज डी एफेयर्स नई दिल्ली में अमरीकी दूतावास के मेरीकेल कार्लसन।
         इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र को योगदान देने वाले देशों की अफ्रीकी सैनिक टुकडियों में क्षमताएं बनाना और उनमें वृद्धि करना तथा इन देशों के प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करना है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यह पाठ्यक्रम मुख्य रूप से प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने की संकल्पना पर आधारित है, जो कि भारत द्वारा शांति स्थापना की गतिविधियों में किये गये सक्रिय योगदान के लिए उठाये गए कदमों में से एक है। 
        इस पाठ्यक्रम में भारत सहित 19 देशों के अधिकारी भाग ले रहे हैं। पाठ्यक्रम में शामिल प्रशिक्षु अधिकारी वर्तमान में अफ्रीकी शांति स्थापना प्रशिक्षण संस्थाओँ के संबधित शांति स्थापना प्रशिक्षण केन्द्रों में तैनात हैं। प्रशिक्षण में परिचालन और साजो सामान संबधित मामले, मानवीय मुद्दे, संबधित विषय और ब्लैक-बोर्ड एवं टेबल टॉप अभ्यास तथा अभियानों के संक्षिप्त विवरणों को शामिल किया गया है।
          प्रशिक्षण में अपने संबधित देशों में आगे प्रशिक्षण अधिकारियों को शांति स्थापना की बारीकियां समझाने में प्रशिक्षु अधिकारियों की सहायता के ऊपर भी ध्यान केन्द्रित किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय रूप से इस पाठ्यक्रम को पहले ही कई मायनों में मील का पत्थर माना जा रहा है।

Friday 14 July 2017

यूरोपीय संघ भारत में सबसे बड़े विदेशी निवेशकों में से एक

          यूरोपीय संघ (ईयू) व भारत ने यूरोपीय संघ के भारत में निवेशों के लिए एक निवेश सुविधा तंत्र (आईएफएम) की स्‍थापना की घोषणा की। 

     इस तंत्र से यूरोपीय संघ व भारत सरकार के बीच करीबी तालमेल स्‍थापित हो सकेगा। इसका उद्देश्‍य भारत में यूरोपीय संघ के निवेश को बढ़ावा देना और उसे सुगम बनाना है। 
      यह समझौता मार्च 2016 में ब्रसेल्‍स में यूरोपीय संघ-भारत के 13वें शिखर सम्‍मेलन में जारी संयुक्‍त बयान के दौरान तैयार किया गया था, जिसमें यूरोपीय संघ ने इस प्रकार का एक तंत्र तैयार करने के भारत के फैसले का स्‍वागत किया था। 
           दोनों देशों के नेताओं ने संरक्षणवाद का विरोध करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई थी। साथ ही एक निष्‍पक्ष, पारदर्शी और शासन आधारित व्‍यापार और निवेश माहौल बनाने की वकालत की थी। आईएफएम के अंतर्गत भारत में ईयू के प्रतिनिधिमंडल तथा वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग ने भारत में ईयू के निवेशों का आकलन करने और व्‍यापार में सुगमता के लिए नियमित उच्‍चस्‍तरीय बैठकें आयोजित करने पर सहमति व्‍यक्‍त की थी। 
       इसमें यूरोपीय संघ की कंपनियों और निवेशकों को स्‍थापित करने अथवा उनके कार्य को चलाने के लिए सामने आने वाली प्रक्रिया संबंधी परेशानियों का समाधान निकालने और उसे सामने रखना शामिल है। इस पहल के महत्‍व पर जोर देते हुए भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत तोमास्‍ज़ कोसलोवस्‍की ने कहा कि निवेश सुविधा तंत्र की स्‍थापना यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्‍यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक सही कदम है। 
         यूरोपीय संघ भारत में सबसे बड़ा विदेशी निवेश है और उसकी पहल से यूरोपीय संघ के निवेशकों के लिए अधिक मजबूत, प्रभावी और पूर्वानुमेय व्‍यापार माहौल बनाने में मदद मिलेगी। मार्च, 2016 में आयोजित शिखर सम्‍मेलन में दोनों पक्षों के नेताओं ने अपने संबंधों को नई गति देने का फैसला किया था। हम उसी का पालन कर रहे हैं। 
          डीआईपीपी सचिव रमेश अभिषेक ने कहा कि ‘व्‍यापार में सुगमता’ सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की मूल प्राथमिकता है और भारत में यूरोपीय संघ के निवेश को सुगम बनाने के लिए आईएफएम की स्‍थापना इस उद्देश्‍य को हासिल करने के लिए एक अन्‍य कदम है। आईएफएम की स्‍थापना यूरोपीय संघ की कंपनियों और निवेशकों के भारत में प्रचालन के दौरान उनके सामने आने वाली समस्‍याओं को पहचानने और उन्‍हें हल करने का मार्ग प्रशस्‍त करने के उद्देश्‍य से की गई।
        आईएफएम यूरोपीय संघ की कंपनियों और निवेशकों की दृष्टि से सामान्‍य सुझाव पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच का काम करेगा। उन्‍होंने कहा कि इससे यूरोपीय संघ के निवेशकों को भारत में उपलब्‍ध निवेश के अवसरों का उपयोग करने में प्रोत्‍साहन मिलेगा। 
         सरकारी निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी, इनवेस्‍ट इंडिया भी इस तंत्र का हिस्‍सा होगी। यह यूरोपीय संघ की कंपनियों के लिए एक प्रविष्टि स्‍थल तैयार करेगा, जिसे केन्‍द्रीय अथवा राज्‍य स्‍तर पर निवेश के लिए सहायता की जरूरत होगी। डीआईपीपी मामलों के अनुसार अन्‍य महत्‍वपूर्ण मंत्रालयों और अधिकारों की भागीदारी को भी सुगम बनाएगा। 
       व्‍यापार और निवेश यूरोपीय संघ और भारत के बीच 2004 में शुरू की गई रणनीतिक भागीदारी के प्रमुख तत्‍व हैं। वस्‍तुओं और सेवाओं में पहला व्‍यापार भागीदार होने के साथ यूरोपीय संघ भारत में सबसे बड़े विदेशी निवेशकों में से एक है, जिसका सामान मार्च 2017 तक 81.52 अरब (4.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक) का था। इस समय भारत में यूरोपीय संघ की छह हजार से ज्‍यादा कंपनियां है जो 60 लाख लोगों को प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रही हैं।

Thursday 13 July 2017

भारत व फिलस्तीन के बीच सूचना प्रौद्योगिकी व साइबर सुरक्षा समझौता

     प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारत और फिलस्तीन के बीच सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सहयोग पर आधारित समझौता ज्ञापन के बारे में जानकारी दी गई। 

      इस समझौता ज्ञापन का लक्ष्य ई-गवर्नेंस, एम-गवर्नेंस, ई-पब्लिक सर्विस डिलीवरी, साइबर सुरक्षा, सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क, स्टार्ट-अप इकोसिस्टम आदि के क्षेत्रों में निकट सहयोग को बढ़ावा देना है। 
     यह समझौता दोनों पक्षों के हस्ताक्षर की तिथि से प्रभावी होगा और 5 वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा। दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों से बने सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स पर आधारित एक कार्यसमूह की स्थापना द्वारा इस समझौता ज्ञापन को कार्यान्वित किया जाएगा।
        सूचना संचार प्रौद्योगिकी के दोनों क्षेत्रों- बी2बी और जी 2 जी में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाया जाएगा। रोजगार के अवसर बढ़ाने में सहायक बी 2 बी सहयोग में सुधार लाना इसका लक्ष्य है। अंतरराष्ट्रीय और द्विपक्षीय स्तरों पर भारत की ओर से फिलस्तीन के हितों का मजबूत राजनीतिक समर्थन दिया जा रहा है। 
         फिलस्तीन के लोगों के लिए भारत की ओर से सामग्री और तकनीकी सहायता दी जाती है। सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सहयोग पर आधारित समझौते की शुरुआत नवंबर 2016 में जेसीएम के पहले सत्र के दौरान की गई थी।
       कई वार्ताओं के मसौदे के बाद समझौता ज्ञापन को अंतिम रुप दिया गया और मई 2017 में फिलस्तीन के अति महत्वपूर्ण व्यक्ति के दौरे के अवसर पर इस पर हस्ताक्षर किए गए।

Wednesday 12 July 2017

भारत जैसे देशों में कच्चे तेल के लिए एक जबावदेह कीमत की आवश्यकता

         केन्द्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) धर्मेन्द्र प्रधान ने भारतीय तेल और गैस प्रक्षेत्र में वर्तमान आर्थिक रणनीतियां विषय पर मंत्री स्तरीय सत्र की अध्यक्षता की। 

       उन्होनें तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित 22 वें विश्व पेट्रोलियम कांग्रेस में तेल, गैस व उत्पाद की आपूर्ति तथा मांग की चुनौतियां विषय पर आधारित पूर्ण सत्र की भी अध्यक्षता की। प्रधान ने कहा कि भारत जैसे एशियाई देश तेजी से विकसित हो रहे है। बढ़ते मध्यम वर्ग के कारण बिजली तथा रसोई व यातायात ईंधन की मांग में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। जब आय बढती है तो दैनिक जीवन के सामानों की मांग में भी बढ़ोत्तरी होती है। इससे पेट्रोकेमिकल के लिए कच्चे माल की मांग में भी वृद्धि हो रही है। 
          उन्होनें भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि 2035 तक देश में ऊर्जा खपत की मांग दोगुनी हो जाएगी। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां अगले एक दशक से ज्यादा समय तक मांग में वृद्धि बनी रहेगी। मंत्री ने भारत जैसे देशों में कच्चे तेल के लिए एक जबावदेह कीमत की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा की यह सामान्य लोगों को ऊर्जा उपलब्ध कराने में सहायता प्रदान करेगा।
           उन्होनें इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि आज बाजार में आपूर्ति-आधिक्य है, ऐसी स्थिति में उत्पादकों को उपभोक्ताओं और मांग-केन्द्रों के दृष्टिकोण को भी समझना चाहिए। उपभोक्ताओं के लिए आपूर्ति की सुरक्षा आवश्यक है और इसी प्रकार उत्पादकों के लिए भी मांग की सुरक्षा आवश्यक है।
         प्रधान ने तुर्की के ऊर्जा मंत्री बेरट अल्बेरक से द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों मंत्रियों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा सहित द्वपक्षीय ऊर्जा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा हुई। 
     दोनों मंत्री इस बात पर सहमत थे कि ई और पी तथा निम्न प्रवाह प्रक्षेत्र में साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होनें अन्य देशों में भी साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई।

Tuesday 11 July 2017

फिनलैंड से व्‍यापार व निवेश को सशक्‍त बनाने पर चर्चा

     फिनलैंड के प्रधानमंत्री जुहा‍ सिपिला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर बात की।

  सिपिला ने ऐतिहासिक वस्‍तु एवं सेवाकर को सफलतापूर्वक लागू कराने के लिए प्रधानमंत्री को बधाई दी।
        इस दौरान दोनों नेताओं ने फरवरी 2016 में हुई अपनी आखिरी मुलाकात के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की। 
       सिपिला गत वर्ष फरवरी को मुंबई में आयोजित मेक इन इंडिया सप्‍ताह में भाग लेने भारत आए थे। दोनों नेताओं के बीच आज की बातचीत में द्विपक्षीय व्‍यापार और निवेश संबंधों को सशक्‍त बनाने के उपायों पर भी चर्चा की गई।

 

Friday 30 June 2017

भारत व कनाडा परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष क्षेत्रों में साझेदार

   राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कनाडा सरकार और लोगों को कनाडा की 150 वीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं और बधाइयां दी है। 

     कनाडा के गवर्नर जनरल डेविड जॉन्सटन को भेजे संदेश में महामहिम राष्ट्रपति ने कहा, आपकी सरकार और लोगों को कनाडा के गठन की 150 वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत सरकार, यहां की जनता और मेरी तरफ से आपको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां। 
      भारत और कनाडा के बीच रणनीतिक साझेदारी का आधार लोकतंत्र, अनेकता, कानून का शासन और लोगों के मजबूत संपर्क हैं। हाल ही के वर्षों में, इस साझेदारी में एम समान हितों जैसे परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। 
      भारत, कनाडा सरकार और लोगों के साथ काम और सहयोग करने के लिए पारस्परिक लाभ और बेहतर दुनिया बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। आपके अच्छे स्वास्थ्य और प्रगति के लिए तथा कनाडा के प्‍यारे लोगों की निरंतर उन्‍नति और समृद्धि के लिए कृपया मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें।